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आज ही के दिन अंतरिक्ष यात्री बना था एक डॉग, जाने के कुछ घंटों तक रहा था जीवित

आज ही के दिन सोवित संघ ने किसी जीव को अंतरिक्ष में भेजकर इतिहास रचा था। यह एक फीमेल डॉग थी, जो स्पेस मिशन के लिए भेजी गई थी।

Edited By: Shailendra Tiwari @@Shailendra_jour
Published : Nov 03, 2024 13:48 IST, Updated : Nov 03, 2024 13:55 IST
फीमेल डॉग लाइका
Image Source : NASM फीमेल डॉग लाइका

तारीख 3 नवंबर 1957 थी... जब दुनिया ने अंतरिक्ष में किसी जीवित जीव को अंतरिक्ष में भेजा। यह बात करीबन अतंरिक्ष युग की शुरुआत होने के एक माह से भी कम समय की है, जब सोवियत संघ ने स्पुतनिक-2 के लॉन्च के साथ एक बड़ा कदम उठाया। इस बार सैलेलाइट के साथ अतंरिक्ष में धरती से जीवित जीव भेजने का निर्णय लिया। हालांकि उस समय टेक्नोलॉजी इतनी सफल नहीं थी जितनी की आज है, इसलिए इस मिशन में कई खामियां थी।

लाइका का भेजा गया अंतरिक्ष

स्पुतनिक-2 में रूस ने एक फीमेल डॉग 'लाइका' को अंतरिक्ष में भेजा। धरती से अंतरिक्ष में जाने वाला यह पहली जीव थी। लाइका ने ही सबसे पहले स्पुतनिक-2 के साथ पृथ्वी के चक्कर लगाए थे। इस घटना ने संयुक्त राज्य अमेरिका को अपने स्पेस प्रोग्राम को तैयार करने के लिए प्रेरित करना शुरू कर दिया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, भविष्य के मानवयुक्त अंतरिक्ष यान केंद्र के डायरेक्टर रॉबर्ट गिलरूथ ने इतिहासकारों से कहा कि जब मैंने डॉग को ऊपर जाते देखा तो मैंने कहा कि ओ गॉड हमें आगे बढ़ना चाहिए क्योंकि यह इंसान को अंतरिक्ष में भेजने का एक वैलिड प्रोग्राम होने जा रहा है।

बूस्टर रॉकेट से जुड़ा रहा था

उस दौरान स्पुतनिक-2 का वजन 508KG था, जो इसके पहले के सैटेलाइट से काफी ज्यादा था। यह कक्षा में पहुंचने के बाद भी अपने बूस्टर रॉकेट से जुड़ा रहा था। उस दौर में रॉकेट साइंस इतनी विकसित नहीं थी जितनी की आज है। साथ ही इस मिशन में कई कमियां थी, जिस कराण लाइका को पुन: धरती पर लाने की कोई योजना नहीं बन सकी थी।

जल गया था स्पुतनिक-2

स्पूतनिक बनाने वाले इंजीनियरों ने लंबे मिशन के लिए एनवायरमेंटल कंट्रोल सिस्टम को डिजाइन नहीं किया था। ऐसे में कहा जाता है कि लाइका कक्षा में पहुंचने के बाद महज कुछ घंटे ही जीवित थी। फिर 10 नवंबर को सैटेलाइट की बैटरी खत्म हो गई और साइंस एक्सपेरीमेंट से डाटा आना बंद हो गए। फिर 14 अप्रैल 1958 को पुन: प्रवेश करते समय स्पुतनिक-2 जल गया। इसके बाद सोवियत संघ रूस को दूसरे जानवरों को ऊपरी कक्षा में भेजने में 3 साल समय लग गए। इस बार पूरे चालक दल को सुरक्षित धरती पर वापस लाया गया, जो मानव अंतरिक्ष उड़ान की तैयारी में पहला कदम था।

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