यूपी में 513 सरकारी मान्यता प्राप्त मदरसों ने अपनी मान्यता सरेंडर कर दी है। इसके बाद यूपी मदरसा बोर्ड इन सब मदरसों को नोटिस जारी कर पता करने की कोशिश में है कि आखिर ये मदरसे अपनी मान्यता क्यों खत्म कराना चाहते है। क्या मदरसों को लेकर योगी सरकार की सख्ती की वजह से ये मदरसे अपनी मान्यता वापस कर रहे है?
सरकार ने दिखाई है सख्ती
दरअसल, यूपी में साल 2017 में योगी सरकार बनने के बाद मदरसा पोर्टल बनाया गया जिससे राज्य में फर्ज़ी मदरसे न चल सकें। पोर्टल का नतीजा ये हुआ कि बड़े पैमाने पर फर्ज़ी मदरसे बंद हो गए। 2017 के पहले यूपी में 22000 से ज़्यादा मान्यता प्राप्त मदरसे थे जो पोर्टल बनने के बाद 16500 रह गए।
मदरसों में बच्चे नकल न कर सकें इसके लिए सेंटर्स में वेब कैमरे लगाए गए। यूपी में गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वे कराया गया जिनमे मदरसों को मिलने वाले चंदे पर भी सवाल हुए। सरकार ने मदरसों को मिलने वाले चंदे की SIT जांच के भी आदेश दिए। SIT को पता करना है कि इन मदरसों को पैसा कहा से मिल रहा है, टीचरों को सैलरी देने, हॉस्टल में बच्चों पर खर्च, मदरसे की बिल्डिंग बनाने के लिए फंड कहां से आ रहा है और मदरसों में क्या पढ़ाया जा रहा है?
तो इसीलिए मान्यता खत्म करने की दी अर्जी?
मदरसे के लोगों का कहना है कि सरकार की बार-बार के जांच के आदेश से परेशान कुछ मदरसों ने अपनी मान्यता खत्म करने की अर्जी दी है। कुछ का कहना है कि 2017 के पहले केंद्र और प्रदेश सरकार मॉडर्न एजुकेशन के लिए तीन टीचर की सैलरी देती थी जो अब बंद हो गई है जिससे मदरसे चलाना मुश्किल हो रहा है।
राज्य में चल रहे तीन तरह के मदरसे
- जिनका मदरसा पोर्टल में रजिस्ट्रेशन है। ऐसे मदरसे 16513 है। इनमें करीब 18 लाख बच्चे पढ़ते है। ये सभी मान्यता प्राप्त मदरसे है।
- मदरसा पोर्टल में रेजिस्ट्रेशन वाले 16513 मदरसो में से 558 सरकारी एडेड मदरसे हैं। इनमें सरकार टीचर, स्टाफ की सैलरी, छात्रों को NCERT किताबें और मिड-डे मील मिलती है।
- यूपी में गैर मान्यता प्राप्त मदरसे भी चलते है जो मदरसा पोर्टल में नहीं है। ऐसे ही मदरसों का सरकार ने सर्वे कराया है।
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