Sunday, December 22, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. एजुकेशन
  3. सुप्रीम कोर्ट के 4 न्यायाधीश 'द लॉ ऑफ इमरजेंसी पावर्स' पुस्तक का विमोचन करेंगे

सुप्रीम कोर्ट के 4 न्यायाधीश 'द लॉ ऑफ इमरजेंसी पावर्स' पुस्तक का विमोचन करेंगे

सुप्रीम कोर्ट के चार न्यायाधीश न्यायमूर्ति एन. वी. रमना, न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ अभिषेक मनु सिंघवी और खगेश गौतम द्वारा लिखित

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published : January 21, 2021 8:06 IST
4 judges of Supreme Court will release the book 'The Law of...
Image Source : GOOGLE 4 judges of Supreme Court will release the book 'The Law of Emergency Powers'

नई दिल्ली।  सुप्रीम कोर्ट के चार न्यायाधीश न्यायमूर्ति एन. वी. रमना, न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ अभिषेक मनु सिंघवी और खगेश गौतम द्वारा लिखित व स्प्रिंगर द्वारा प्रकाशित 'द लॉ ऑफ इमरजेंसी पावर्स : कम्पेरेटिव कॉमन लॉ पर्सपेक्टिव्स' पुस्तक का 23 जनवरी को विमोचन करेंगे। यह पुस्तक तुलनात्मक सामान्य कानून के दृष्टिकोण से आपातकालीन शक्तियों का व्यापक कानूनी और संवैधानिक अध्ययन प्रस्तुत करती है।

यह न्याय के तीन अधिकार क्षेत्रों पर एक नायाब पुस्तक है, क्योंकि इस क्षेत्र में बहुत कम तुलनात्मक अध्ययन हुए हैं। विभिन्न आपातकालीन शक्तियों का विस्तार से पता लगाने के लिए और प्रासंगिक तर्कों के साथ वैधानिक, संवैधानिक और सामान्य कानून की जानकारी देने वाली यह पहली किताब होगी।

इसमें युद्धकालीन और शांतिपूर्ण आह्वान के साथ ही आपातकालीन शक्तियों की न्यायिक समीक्षा जैसे कई महत्वपूर्ण विषयों को विस्तार से समझाया गया है।

इसमें तीन क्षेत्राधिकारों को जिक्र है, जिसमें शुद्ध निहित सामान्य कानून मॉडल (ब्रिटेन द्वारा नियोजित), निहित संवैधानिक मॉडल (अमेरिका द्वारा नियोजित) और स्पष्ट संवैधानिक मॉडल (भारत द्वारा नियोजित) शामिल हैं।

पुस्तक की सामग्री में महत्वपूर्ण निहितार्थ हैं, क्योंकि ये तीन न्यायिक क्षेत्राधिकार सामूहिक रूप से सामान्य कानून की दुनिया में सबसे बड़ी आबादी को कवर करते हैं और अधिकतम प्रतिनिधि विविधता भी प्रदान करते हैं।

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 356 जैसी शक्तियों के उपयोग के माध्यम से आंतरिक या आपात स्थिति, आर्थिक/वित्तीय आपात स्थिति और केंद्रीय या संघीय सरकारों द्वारा राज्य की स्वायत्तता में किए जा रहे कार्यों को लेकर पुस्तक आंतरिक आपात स्थितियों के विपरीत बाहरी आपात स्थितियों पर विभिन्न स्थितियों (पोजिशन) को कवर करती है

हरियाणा के सोनीपत स्थित ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के संस्थापक कुलपति सी. राज कुमार ने कहा, "आपातकालीन शक्तियों की व्याख्या, उनके आवेदन और संवैधानिकता पर प्रभाव के बारे में कानून के आवेदन (एप्लिकेशन) को समझने में इस पुस्तक की छात्रवृत्ति और ज्ञान आवश्यक है। भारत में आपातकालीन शक्ति का गहन और कठिन विश्लेषण और अमेरिका और ब्रिटेन की प्रणालियों के साथ तुलना अंतर्दृष्टि प्रदान करेगी। यह उन सभी के लिए एक आवश्यक रीडिंग है, जो दुनिया के अग्रणी लोकतंत्रों में आपातकालीन शक्तियों और उनके आवेदन की जटिलता को समझना चाहते हैं।"

सुप्रीम कोर्ट बार में अपने अनुभव को साझा करते हुए, सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, "यह काम कई वर्षों की कड़ी मेहनत और धैर्य का परिणाम है। आज जो काम आप यहां देख रहे हैं, वह मूल रूप से 1985 में कैम्ब्रिज में मेरे डॉक्टरेट सश्रम के तहत तैयार किया गया है।"

पुस्तक के कुछ पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए, जिंदल ग्लोबल लॉ स्कूल के एसोसिएट प्रोफेसर, खगेश गौतम ने कहा, "भारत में आपातकालीन शक्तियों का अध्ययन आमतौर पर संविधान के अनुच्छेद 356 तक सीमित है। हालांकि यह काम अधिक व्यापक दृष्टिकोण पेश करता है।"

गौतम ने कहा कि यह पुस्तक न केवल अनुच्छेद 352 और 356 की व्यापक चर्चा प्रदान करती है, बल्कि इसमें अनुच्छेद 360 को विस्तृत तरीके रखा गया है। उन्होंने कहा कि यह एक अंतर को भी भरने का काम करती है, क्योंकि शायद यह अकादमिक रूप से हमारे संविधान के सबसे उपेक्षित प्रावधान में से एक रहा है।

Latest Education News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। News in Hindi के लिए क्लिक करें एजुकेशन सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement