नई दिल्ली। जामिया मिल्लिया इस्लामिया के आवासीय कोचिंग अकादमी (आरसीए), सेंटर फॉर कोचिंग एंड करियर प्लानिंग के 101 छात्रों ने यूपीएससी की सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा 2020 पास की है। जामिया यूनिवर्सिटी के जनसंपर्क अधिकारी अहमद अजीम ने कहा, "जामिया से जुड़ी देश के विभिन्न राज्यों में रहने वाली 16 लड़कियों और 85 लड़कों ने यूपीएससी की सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा 2020 पास की है। कुल 283 उम्मीदवार ने जामिया आरसीए में कोचिंग और प्रशिक्षण प्राप्त किया है।"
जामिया के मुताबिक, ये छात्र आरसीए के विभिन्न छात्रावासों में रहते हैं। योग्य उम्मीदवार 8 जनवरी 2020 से शुरू होने वाली मेंस परीक्षा में शामिल होंगे। यह किसी भी सार्वजनिक कोचिंग सेंटर से सबसे अधिक योग्य उम्मीदवार हैं।वहीं जामिया मिल्लिया इस्लामिया के मल्टीडिसिप्लिनरी सेंटर फॉर एडवांस्ड रिसर्च एंड स्टडीज (एमसीआरएएस) ने अन्य वैज्ञानिकों के साथ मिल कर कोविड-19 का पता लगाने के लिए आरएनए इंक्स्ट्रैक्शन फ्री सलाइवा आधारित किट की खोज भी की है।
इस तकनीक का नाम एमआई-एसईएचएटी (मोबाइल इंटीग्रेटेड सेंसिटिव एस्टीमेशन एंड हाई स्पसेफिसिटी एप्लिकेशन टेस्टिंग) है। इसका उपयोग कोविड-19 का पता लगाने में पाइन्ट ऑफ केयर (पीओसी) डिवाइस के रूप में घर घर परीक्षण के लिए किया जा सकता है।
डॉ. मोहन सी जोशी, सहायक प्रोफेसर (यूजीसी-एफआरपी और डीबीए, वेलकम ट्रस्ट इंडिया अलायंस फेलो), डॉ. तनवीर अहमद, असिस्टेंट प्रोफेसर (यूजीसी-एफआरपी) और डॉ. जावेद इकबाल, रामालिंगस्वामी फेलो (डीबीटी) ने वीएमएमसी (सफदरजंग अस्पताल) के डॉ. रोहित कुमार और वेलेरियन केम लिमिटेड के सीईओ डॉ. गगन दीप झिंगन के साथ मिलकर यह बड़ी खोज की है।
इस टीम के डॉ. मोहन सी जोशी ने नई तकनीक के बारे में बताते हुए कहा, "एक स्मार्टफोन-सक्षम पीओसी प्रोटोटाइप विकसित किया गया है। इससे तकनीकी विशेषज्ञ की सहायता के बिना ही, एक घंटे के भीतर कोरोना होने या नहीं होने का पता लगाया जा सकता है। ऐसे कठिन समय में जब कोविड-19 के फैलाव को रोकने के लिए कम कीमत में किसी व्यक्ति में इसके वायरस के लक्षण को जल्द से जल्द पता लगाना जरूरी हो गया है, उसके लिए यह सलाइवा आधारित किट बहुत कारगर साबित होगा।"