Friday, November 15, 2024
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आसियान देशों के 1000 छात्र आईआईटी में कर सकेंगे पीएचडी

दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्र संगठन (आसियान) देशों के 1000 छात्र भारत के विभिन्न आईआईटी संस्थानों में पीएचडी कर सकेंगे। शुक्रवार को आसियान राष्ट्रों के राजदूतों की उपस्थिति में आसियान पीएचडी फेलोशिप कार्यक्रम के पहले बैच का स्वागत किया।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: October 17, 2020 14:06 IST
1000 students from ASEAN countries are doing PhD in IITs- India TV Hindi
Image Source : GOOGLE 1000 students from ASEAN countries are doing PhD in IITs

नई दिल्ली। दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्र संगठन (आसियान) देशों के 1000 छात्र भारत के विभिन्न आईआईटी संस्थानों में पीएचडी कर सकेंगे। शुक्रवार को आसियान राष्ट्रों के राजदूतों की उपस्थिति में आसियान पीएचडी फेलोशिप कार्यक्रम के पहले बैच का स्वागत किया। इन्हें भारत में अनुकूल शिक्षा का परिवेश एवं वातावरण देने का आश्वासन दिया। आसियान इंटीग्रेशन के तहत भारत सीएलएमवी (कंबोडिया, लाओस, म्यांमार और वियतनाम) देशों के लॉ एनफोर्समेंट ऑफिसर्स को भाषा प्रशिक्षण देने के साथ ही, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सिक्योरिटीज मैनेजमेंट, मुंबई द्वारा कैपिटल मार्केट से जुड़े लोगों को ट्रेनिंग देने का काम भी कर रहा है।

इस अवसर पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा, इस फेलोशिप कार्यक्रम की घोषणा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 25 जनवरी 2018 को गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर सभी दस आसियान देशों के नेताओं की उपस्थिति में की थी। इसके तहत आसियान देशों के 1000 छात्र भारत के आईआईटी संस्थानों में पीएचडी कर सकेंगे। मैं आसियान देशों से आने वाले सभी छात्रों को यह आश्वासन देना चाहता हूं कि उन्हें हमारे देश, हमारी शिक्षण संस्थाओं द्वारा भारतीय बच्चों की तरह अनुकूल शिक्षा का अनुकूल परिवेश एवं वातावरण मिलेगा।

केंद्रीय मंत्री ने कहा,यह कार्यक्रम भारत और आसियान देशों की 25 वर्षों से भी अधिक पुरानी साझेदारी एवं भारत की ह्यएक्ट ईस्ट पॉलिसी की मजबूती का यह ज्वलंत प्रमाण है। यह कार्यक्रम विदेशी छात्रों के लिए भारत सरकार द्वारा किए गए सबसे बड़े क्षमता विकास कार्यक्रमों में से एक है। हम एक ग्लोबल माइंडसेट और ग्लोबल अप्रोच के साथ हम भारत को उच्च शिक्षा के एक ग्लोबल हब के रूप में विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। 'शिक्षा के अंतरराष्ट्रीयकरण', 'स्टडी इन इंडिया' के साथ साथ ही 'क्वालिटी एजुकेशन' पर हमारा खास फोकस है और आज का कार्यक्रम इसी दिशा में उठाए गए एक सकारात्मक कदम है।

डॉ. निशंक ने यह भी कहा कि यह कार्यक्रम इस बात का भी प्रतीक है कि भारत अपने 'अतिथि देवो भव तथा वसुधैव कुटुंबकम' की सोच के साथ साथ इस ग्लोबलाइज्ड संसार में सर्वे भवंतु सुखिन की संस्कृति को सदैव पोषित करता रहा है और आगे भी करता रहेगा। हम पूरे विश्व को एक साथ लेकर आगे बढ़ना चाहते है। आईआईटी संस्थान हमारे वैश्विक ब्रांड हैं जो इसको सार्थक कर रहे है।

निशंक ने कहा, भारत एवं आसियान देशों का संबंध बहुत गहरा, ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक है और यह केवल एक सम्पर्क नहीं है बल्कि एक लाइव लिंक है। यह लिंक केवल ढाई-तीन दशकों में तैयार नहीं हुआ है बल्कि हमारी जड़ें बौद्ध धर्म, दर्शन एवं रामायण महाकाव्य से जुड़ी हुई हैं। आसियान देशों में भारतीय फिल्मों की शूटिंग, रामलीला का मंचन, अंकोरवाट का मंदिर जैसे तमाम उदाहरण हमारे ऐतिहासिक-सांस्कृतिक संबंधों की कहानी सुनाते हैं। हमारी पुरानी संस्कृति और जुड़ाव का यह नया रूप है। हमारी संस्कृति और सभ्यता के जुड़ाव चिर काल से रहे है , यह कार्यक्रम उन जुड़ावों को और मजबूती देगा।

 

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