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भाजपा का खत्म होगा सूखा, AAP लगाएगी हैट्रिक या कांग्रेस करेगी वापसी? क्यों खास है दिल्ली का चुनाव

दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए पांच फरवरी को वोटिंग होगी और आठ फरवरी को नतीजे घोषित किए जाएंगे। इस बार आप हैट्रिक लगाएगी या भाजपा का सूखा खत्म होगा या कांग्रेस की होगी वापसी। क्यों खास है चुनाव?

Written By: Kajal Kumari @lallkajal
Published : Jan 07, 2025 17:47 IST, Updated : Jan 07, 2025 18:41 IST
दिल्ली विधानसभा चुनाव
Image Source : FILE PHOTO दिल्ली विधानसभा चुनाव

दिल्ली में विधानसभा चुनाव के लिए तारीखों का ऐलान हो चुका है। विधानसभा की सभी 70 सीटों के लिए वोटिंग पांच फरवरी को होगी और नतीजे आठ फरवरी को आएंगे। इस बार का चुनाव कई मायनों में अहम है। आम आदमी पार्टी इस बार तीसरी बार जीत की उम्मीद लगाए हुए है और अगर जीत दर्ज करती है तो ये तीसरी जीत यानी कि हैट्रिक होगी। वहीं कांग्रेस को भी वापसी की उम्मीद है लेकिन सबसे बड़ी चुनौती भारतीय जनता पार्टी के लिए है, जो जीत के लिए पूरा दम खम लगाने को तैयार है क्योंकि अगर जीत मिलती है तो इस बार दिल्ली में पार्टी का 27 साल का सूखा खत्म हो जाएगा। 

भाजपा का खत्म होगा 27 साल का सूखा?

भाजपा इस बार पूरे दम खम के साथ विधानसभा चुनाव के सियासी मैदान में उतरी है और वह किसी भी हाल में चुनाव जीतना चाहती है। दिल्ली में 1993 में बीजेपी की सरकार बनी थी और भाजपा ने मदनलाल खुराना को मुख्यमंत्री बनाया था। लेकिन भाजपा के लिए जीत को बरकरार रखने में बहुत मुश्किलें आईं थीं। तब बीजेपी को 49 सीटों पर बड़ी जीत मिलने के बाद भी पांच साल में तीन बार मुख्यमंत्री बदलना पड़ा था और पहले मदनलाल खुराना फिर साहिब सिंह वर्मा और फिर सुषमा स्वराज को मुख्यमंत्री बनाया गया था। साल 1993 के बाद फिर दिल्ली में भाजपा को कभी जीत नहीं मिली। इस बार भाजपा को सूखा खत्म होने की उम्मीद है

क्या कांग्रेस की होगी वापसी?

साल 1993 के बाद आया साल1998 का विधानसभा चुनाव और इस बार दिल्ली की पूरी सियासी तस्वीर बदल गई। भाजपा ने इस बार सुषमा स्वराज के चेहरे पर चुनाव लड़ा लेकिन जनता ने 1998 में कांग्रेस की शीला दीक्षित को चुन लिया और शीला दीक्षित दिल्ली की मुख्यमंत्री बनीं और इसके बाद तो कांग्रेस ने 1998 से लेकर 2013 तक दिल्ली की सत्ता पर कांग्रेस का ही कब्जा रहा और शीला दीक्षित सीएम के पद पर काबिज रहीं। इस बार का चुनाव कांग्रेस के लिए भी अहम है क्योंकि कांग्रेस को वापसी का भरोसा है। 

आम आदमी पार्टी और कांग्रेस आए साथ

साल 2013 का विधानसभा चुनाव आया जब कांग्रेस को जनता ने पूरी तरह से नकार दिया और मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को अपनी सत्ता गंवानी पड़ी। दिल्ली में 2013 के विधानसभा चुनाव में एक नई नवेली पार्टी ने शीला दीक्षित की सत्ता छीन ली। हालांकि 70 सीटों वाली दिल्ली में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी और 32 सीटें जीती लेकिन बहुमत से दूर रही। आम आदमी पार्टी को 28 और कांग्रेस को सात सीटें मिलीं थी, आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस से समर्थन लेकर सरकार बनाई और पहली बार आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री बने। 

आप ने दर्ज की थी रिकॉर्ड जीत

आम आदमी पार्टी और कांग्रेस की सियासी दोस्ती ज्यादा दिन नहीं चल सकी और  2013 में कांग्रेस के समर्थन से बनी आम आदमी पार्टी की सरकार सिर्फ 49 दिन ही टिक सकी। केजरीवाल ने कांग्रेस का हाथ छोड़कर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लग गया। साल 2015 में दिल्ली में फिर से विधानसभा चुनाव हुए और इस चुनाव में केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने रिकॉर्डतोड़ 67 सीटें जीतकर इतिहास रच दिया और अरविंद केजरीवाल लगातार दूसरी बार दिल्ली के मुख्यमंत्री बने।

आम आदमी पार्टी लगाएगी इस बार हैट्रिक?

पिछली बार यानी 2020 में दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए मतदान 8 फरवरी को हुआ था और वोटों की गिनती 11 फरवरी को हुई थी। साल 2015 में मिली जीत के बाद  2020 के विधानसभा चुनाव में भी आम आदमी पार्टी ने विपक्ष का सूपड़ा साफ कर दिया था। इस बार का विधानसभा चुनाव आम आदमी पार्टी और केजरीवाल के लिए कड़ी परीक्षा साबित होगी क्योंकि पार्टी के नेताओं पर कई तरह के आरोप लगे हैं और पार्टी इन सभी आरोपों का जवाब चुनाव के नतीजे से देने वाली है। अगर इस बार भी पार्टी जीत हासिल करती है तो उसके लिए हैट्रिक होगी। 

 

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