Sunday, November 03, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. दिल्ली
  3. क्यों फल-फूल रहा है अवैध किडनी ट्रांसप्लांट का कारोबार, डिमांड और सप्लाई है इसकी वजह? जानिए सब कुछ

क्यों फल-फूल रहा है अवैध किडनी ट्रांसप्लांट का कारोबार, डिमांड और सप्लाई है इसकी वजह? जानिए सब कुछ

देश में किडनी ट्रांसप्लांट के सख्त नियम और प्रोटोकॉल हैं। फिर भी इनका उल्लंघन कर ट्रांसप्लांट को अंजाम दिया जाता है। दिल्ली पुलिस ने एक बड़े किडनी रैकेट का भंडाफोड़ किया है।

Edited By: Niraj Kumar @nirajkavikumar1
Updated on: July 10, 2024 23:40 IST
kidney transplant- India TV Hindi
Image Source : FILE किडनी ट्रांसप्लांट

नई दिल्ली:  राजधानी दिल्ली में किडनी के एक बड़े रैकेट का पर्दाफाश हुआ है। दिल्ली पुलिस ने करीब एक महीने तक चल ऑपरेशन में गैंग के सरगाना और दो अस्पतालों के विजिटिंग कंस्लटेंट एक डॉक्टर को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने इनके पास से डॉक्टरों की फर्जी मुहर, पब्लिक नोटरी, किडनी ट्रांसप्लांट के लिए डोनर और रिसीवर की 6 फर्जी फाइल्स मिली है।

गिरोह का सरगना बांग्लादेशी

दिल्ली पुलिस ने इस मामले में गिरोह के सरगना बांग्लादेशी नागरिक रसेल अहमद, मोहम्मद सुमोन मिया, मोहम्मद रोकोन उप्फ राहुल सरकार उर्फ विजय मंडल, त्रिपुरा के रहनेवाले रितेश पाल, यूपी के शारिक और उत्तराखंड के रहनेवाले विक्रम सिंह के अलावा डॉ. जी विजया राजकुमारी को गिरफ्तार किया है। 

2019 से चल रहा रैकेट

पुलिस के मुताबिक यह रैकेट साल 2019 से चल रहा था। गिरोह के लोग हर ट्रांसप्लांट के लिए 25-30 लाख रुपये लेते थे। पुलिस के मुताबिक जिस डॉक्टर को गिरफ्तार किया गया है उसकी भूमिका यह थी कि वह ऑर्गन ट्रांसप्लांट में मदद कर रही थी, जबकि उसे पता था कि डोनर और रिसीवर के आपस के (सगे संबंधी) कोई रिश्ते नहीं थे, इस कारण वह भी इस साजिश का हिस्सा मानी जा रही है।"

पुलिस का दावा-डॉ. ने 15 से ज्यादा अवैध ट्रांसप्लांट किए

दिल्ली पुलिस का दावा है कि आरोपी डॉक्टर ने अभी तक 15 से ज्यादा अवैध ट्रांसप्लांट किए। हर डोनर को 4 से 5 लाख रुपये दिए जाते थे जबकि मरीजों से 25 से 30 लाख रुपये वसूले जाते थे। वहीं आरोपी डॉक्टर एक ट्रांसप्लांट के दो से तीन लाख रुपये लेती थी।

डिमांड और सप्लाई में काफी अंतर

अब सवाल यह उठता है कि आखिर क्यों अवैध तरीके से किडनी ट्रांसप्लांट का धंधा फल-फूल रहा है। दरअसल इस तरह के रैकेट के पीछे एक बड़ी वजह है लाखों की संख्या में डिमांड होना। किडनी खराब होने के बाद लिविंग डोनर की किडनी से ही जान बचाई जा सकती है। इसलिए लिविंग डोनर की काफी डिमांड है। वहीं डिमांड की तुलना में सप्लाई कम है, यही वजह है कि किडनी का रैकेट काफी फल-फूल रहा है।  वहीं किडनी ट्रांसप्लांट के सख्त नियम और प्रोटोकॉल होते हैं। फिर भी इनका उल्लंघन कर ट्रांसप्लांट को अंजाम दिया जाता है। 

दरअसल, देश में हर साल 2 लाख किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ती है लेकिन मुश्किल से 15 से 20 हजार ट्रांसप्लांट ही हो पाते हैं। बाकी के मरीज या तो डायलिसिस पर होते हैं या फिर इन गिरोहों के चक्कर में पड़कर अवैध तरीका अपनाते हैं।

किडनी ट्रांसफ्लांट के लिए बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत नहीं

मानव शरीर में दो किडनी होने के चलते डोनर किडनी ट्रांसप्लांट के लिए तैयार तो हो जाता है और इस तरह के ट्रांसप्लांट के लिए बड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर और एक्सपर्टिज की भी जरूरत नहीं होती है। छोटे सेंटर पर भी सर्जरी हो सकती है। इसलिए ज्यादातर मामले छोटे शहरों से ही आता हैं। 

दस्तावेजों के जरिए होता है सारा खेल

ट्रांसप्लांट का सारा खेल दस्तावेजों के जरिए होता है। डोनर और मरीजों के रिश्ते को लेकर भी फर्जी दस्तावेज तैयार किए जाते हैं। अगर किसी को पति और पत्नी या फिर बाप और बेटे का रिश्ता दिखाना है तो इससे जुड़े दस्तावेज भी फर्जी तरीके से तैयार किए जाते हैं और ट्रांसप्लांट कर दिया जाता है। 

अगर पति को किडनी चाहिए और पत्नी को डोनर बनाया गया है तो पति ब्लड ग्रुप के अनुसार पत्नी के ब्लड ग्रुप के कागज बना लिए जाते हैं। इसमें एचएल सैंपल मिला की रिपोर्ट की जांच की जाता है। असल डोनर कोई और होता है और रिपोर्ट पत्नी की मरीज की अटैच कर दी जाती है। ऐसे में किडनी ट्रांसप्लांट के लिए अप्रूवल कमेटी के पास कोई तरीका नहीं होता इन चीजों को वेरिफाई करने का।

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। News in Hindi के लिए क्लिक करें दिल्ली सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement