दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी लद्दाख के क्लाइमेट एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक से मिलने वाली हैं। सोनम वांगचुक को सोमवार रात सिंघू बॉर्डर पर पुलिस ने हिरासत में लिया गया था। सोनम वांगचुक करीब 150 समर्थकों के साथ लद्दाख से दिल्ली की ओर पैदल ही आ रहे थे। दिल्ली में घुसने से पहले ही उन्हें हिरासत में ले लिया गया।
केंद्र से बातचीत फिर से शुरू करने की मांग
ऐसे में लोगों के मन में सवाल उठ रहा कि आखिर सोनम वांगचुक दिल्ली क्यों कूच कर रहे हैं? बता दें कि सोनम वांगचुक केंद्र सरकार से लद्दाख के नेतृत्व के साथ उनकी मांगों के बारे में बातचीत फिर से शुरू करने की मांग की है।
सांस्कृतिक पहचान की रक्षा के लिए बने कानून
वांगचुक की की प्रमुख मांगों में से एक है लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करना। इससे लद्दाख के स्थानीय लोगों को अपनी भूमि और सांस्कृतिक पहचान की रक्षा के लिए कानून बनाने की शक्ति मिल सकेगी।
लद्दाख के सांसद भी वांगचुक के साथ
दिल्ली के बाहर सोनम वांगचुक की हिरासत को लेकर लद्दाख के सांसद हाजी हनीफा जान ने क्षेत्र में चल रहे मुद्दों से निपटने के सरकार के तरीके पर गहरी चिंता व्यक्त की है। सांसद हनीफा जान ने कहा कि उन्होंने सरकार से एक ऐसा मंच उपलब्ध कराने का आग्रह किया, जहां वे प्रधानमंत्री मोदी को ज्ञापन सौंप सकें या मुद्दों को सुलझाने के लिए नेतृत्व के साथ बातचीत कर सकें।
वांगचुक शांतिपूर्ण तरीके से उठा रहे अपने मुद्दे- सांसद हनीफा
इसके साथ ही लद्दाख के सांसद ने कहा, वह पिछले तीन सालों से बहुत ही शांतिपूर्ण तरीके से अपनी चिंताओं को उठा रहे हैं। सरकार के साथ कई दौर की चर्चाएं भी हुईं। हमें उम्मीद थी कि नई सरकार के गठन के बाद बातचीत जारी रहेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ है।'
आज सीएम आतिशी करेंगी मुलाकात
वांगचुक और उनके समर्थकों को हिरासत में लिए जाने पर सीएम आतिशी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा कि वह उनसे मुलाकात करेंगी। आतिशी ने कहा, 'सोनम वांगचुक और 150 लद्दाखी भाई-बहन शांतिपूर्वक दिल्ली आ रहे थे। पुलिस ने उन्हें रोक दिया है। उन्हें सोमवार रात से बवाना थाने में कैद कर रखा गया है। क्या लद्दाख का लोकतांत्रिक अधिकारों की मांग करना गलत है? क्या सत्याग्रहियों का 2 अक्टूबर को गांधी समाधि पर जाना गलत है?
इस बीच, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने भी लद्दाख के प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिए जाने की आलोचना की है।