नई दिल्ली: दिल्ली में रेलवे लाइन किनारे बसीं 48 हजार झुग्गियों को हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राजनीति गरमा गई है। आम आदमी पार्टी जहां केंद्र की भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार पर हमलावर है, वहीं बीजेपी ने दिल्ली की केजरीवाल सरकार को खाली पड़े 52 हजार फ्लैट, झुग्गी वालों को देने की मांग की है। जबकि कांग्रेस झुग्गी-झोपड़ियों को टूटने से बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट चली गई है। तीनों दलों के बीच चल रही राजनीति के बीच झुग्गी-झोपड़ियों के हटाए जाने पर बेघर होने वाले परिवारों के पुनर्वास का मुद्दा कहीं गुम हो गया है।
बीजेपी के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष आदेश कुमार गुप्ता ने कहा, ‘दिल्ली सरकार को हम चुनौती देते हैं कि अगले 90 दिनों के अंदर खाली पड़े 52,000 मकानों में झुग्गी वासियों के रहने की व्यवस्था नहीं की तो हम स्वयं उन आवासों में झुग्गी वासियों के रहने का प्रबंध करेंगे।’ बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने केजरीवाल सरकार पर झुग्गीवासियों को सिर्फ वोटबैंक समझने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, ‘वास्तव में दिल्ली सरकार समाधान नहीं व्यवधान उत्पन्न करना चाहती है। दिल्ली के मुख्यमंत्री वास्तव में झुग्गी वासियों के हितैषी बनने का सिर्फ दिखावा करते हैं, यही कारण है कि दिल्ली सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभ से उन्हें वंचित रखा।’ उन्होंने दिल्ली के CM पर इस मसले पर चुप्पी साधने का आरोप लगाया।
जानें, क्या है कांग्रेस का रुख
रेलवे लाइन के किनारे बनी झुग्गियों को हटाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कांग्रेस नेता अजय माकन ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उनका कहना है कि कोरोना काल में अगर झुग्गीवालों को बेघर किया गया तो बड़ी त्रासदी हो सकती है। उन्होंने दिल्ली में रेल पटरियों के किनारे करीब 48,000 झुग्गियों में रहने वाले लोगों के पुनर्वास की मांग की है।
आम आदमी पार्टी की राय
आम आदमी पार्टी के नेता राघव चड्ढा ने तुगलकाबाद समेत कई इलाकों की झुग्गियों को हटाने संबंधी नोटिसों को शुक्रवार को फाड़ दिया। उन्होंने कहा है कि झुग्गी के बदले मकान दिए बगैर किसी को बेघर नहीं होने दिया जाएगा। जरूरत पड़ने पर आम आदमी पार्टी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के साथ सड़क पर उतरने को भी मजबूर होगी। राघव चड्ढा ने भाजपा पर झुग्गीवालों के साथ अन्याय करने का आरोप लगाया।