Saturday, November 23, 2024
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‘षड्यंत्र वाली बैठकों’ में सुरक्षाकर्मियों के साथ नहीं जाता था उमर खालिद, आरोपपत्र में बताया गया

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय का पूर्व छात्र नेता उमर खालिद ‘‘षड्यंत्र वाली बैठकों’’ में अपने निजी सुरक्षा अधिकारियों को लेकर नहीं जाता था जो उसे 2018 में उस पर हमले के एक प्रयास के बाद मुहैया कराई गयी थी।

Written by: Bhasha
Published on: November 25, 2020 22:24 IST
‘षड्यंत्र वाली बैठकों’ में सुरक्षाकर्मियों के साथ नहीं जाता था उमर खालिद, आरोपपत्र में बताया गया- India TV Hindi
Image Source : PTI ‘षड्यंत्र वाली बैठकों’ में सुरक्षाकर्मियों के साथ नहीं जाता था उमर खालिद, आरोपपत्र में बताया गया

नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय का पूर्व छात्र नेता उमर खालिद ‘‘षड्यंत्र वाली बैठकों’’ में अपने निजी सुरक्षा अधिकारियों को लेकर नहीं जाता था जो उसे 2018 में उस पर हमले के एक प्रयास के बाद मुहैया कराई गयी थी। उत्तरपूर्व दिल्ली के दंगों में उसकी भूमिका को लेकर पुलिस द्वारा दायर पूरक आरोपपत्र में यह जानकारी दी गई है। 

इसमें आरोप लगाया गया है कि खालिद ‘‘वाम और धुर वामपंथी’’ विचारधारा वाला व्यक्ति है जिस कारण प्रभावशाली लोगों के संपूर्ण ढांचे में वह ‘‘शीर्ष के साथ बहुत निकट संपर्क’’ में है। आरोपपत्र के मुताबिक, खालिद ने जनवरी के बाद से अपने सहयोगियों के साथ विभिन्न स्थानों पर बैठकें कीं जहां ‘‘चक्का जाम’’ और बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक हिंसा करने का षड्यंत्र रचा गया। 

इसमें बताया गया, ‘‘यहां जिक्र करना जरूरी है कि आरोपी उमर खालिद को दिल्ली पुलिस ने निजी सुरक्षा अधिकारी (पीएसओ) मुहैया कराये हैं जो नयी दिल्ली में कांस्टीट्यूशन क्लब के पास उस पर गोलीबारी के प्रयास के बाद मुहैया कराये गये। वहां वह ‘यूनाइटेड अगेंस्ट हेट’ की तरफ से बुलाई गई बैठक में हिस्सा लेने गया था।’’ 

आरोपपत्र में कहा गया, ‘‘बहरहाल, इस मामले की जांच से यह बात सामने आई है कि आरोपी उमर खालिद जब षड्यंत्र के लिए अपने सहयोगियों के साथ बैठक करता था तो वह अपने पीएसओ को साथ नहीं ले जाता था।’’ दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को पूरक आरोपपत्र का संज्ञान लिया। 

इसमें आरोप लगाया गया कि संगठित तरीके से षड्यंत्र आगे बढ़ा जिसमें एक समूह ‘जेएनयू के मुस्लिम छात्र’ का गठन हुआ। यह ‘‘सांप्रदायिक बीज’’ संशोधित नागरिकता कानून को कैबिनेट की सहमति मिलने के बाद बोया गया। 

इसके बाद जामिया समन्वय समिति का गठन हुआ और फिर ‘दिल्ली प्रोटेस्ट सपोर्ट ग्रुप’ बना जिसने ‘‘कट्टर सांप्रदायिक एजेंडा’’ को ‘‘धर्मनिरपेक्ष चेहरा’’ और ‘‘नक्सली जीन’’ का कवच दिया। पुलिस ने कहा कि खालिद से पूछताछ में जांच षड्यंत्र की जड़ तक पहुंच चुकी है।

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