NGT Raps VVWA For Cutting Green Trees: दिल्ली के वसंत विहार में अवैध तरीके से हरे पेड़ों को काटने और हरियाली को छांटने का मामला सामने आया है। इससे नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) सख्त हो गया है। आरोपी संस्था वसंत विहार वेलफेयर एसोसिएशन को एनजीटी ने कड़ी फटकार भी लगाई है। साथ ही आगे पेड़ों की कटाई और छंटाई करने से रोक दिया है। एनजीटी ने साफ कर दिया है कि पेड़ों की छंटाई और कटाई पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए सिर्फ अधिकृत सरकारी विभाग या भू-स्वामित्व रखने वाली संस्थाएं ही संबंधितों से अनापत्ति के साथ कर सकती हैं। इनमें एमसीडी या जमीनी अधिकार रखने वाली एजेंसियां जैसे दिल्ली विकास प्राधिकरण इत्यादि हैं। कोर्ट ने कहा है कि वीवीडब्ल्यूए को एक निजी संस्था होने के नाते उक्त अधिकार नहीं है।
मामले के मुख्य याचिकाकर्ता और वसंत विहार निवासी पद्मश्री व डॉ. बीसी रॉय राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित प्रो. डा. संजीव बगाइ हैं। उन्होंने एनजीटी के समक्ष वीवीडब्लूए के अवैध कारनामों के खिलाफ याचिका दायर किया था। जिसमें कहा गया है कि हम याचिकाकर्ता पेड़ों की छंटाई के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन इसे लागू कानूनों के अनुपालन में और वैज्ञानिक तरीके से किया जाना चाहिए। डा. बगाइ और अन्य ने एनजीटी अधिनियम 2010 की धारा 14 और 15 के तहत याचिका दायर कर कालोनी के हरे पेड़ों की अवैध कटाई और छंटाई करने वालों पर दंडात्मक कार्रवाई करने और दिशा-निर्देश जारी करने की अपील की थी। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि अत्यधिक/असंतुलित/अवैज्ञानिक/अवैध छंटाई से हमारी कॉलोनी का हरित क्षेत्र नष्ट न हो। इसके लिए हमें आपका (एनजीटी) के समर्थन की आवश्यकता है। क्योंकि इससे पर्यावरण को नुकसान होने के साथ ही साथ स्वास्थ्य को भी खतरे की आशंका है। उन्होंने बताया कि 19 जनवरी को हुई सुनवाई में एनजीटी ने वीवीडब्ल्यूए को हरे पेड़ों की अवैध कटाई और छंटाई से पीछे हटने का निर्देश दिया है। अब फैसले के लिए मामले में अगली सुनवाई का इंतजार है।
2000 से ज्यादा हरे पेड़ों की चढ़ाई गई बलि
पर्यावरण पर काफी काम कर चुके डा. वगाइ ने कहा कि एनवायरमेंट में मौजूद हरित क्षेत्र (हरियाली) से कार्बनडाइआक्साइड, कार्बनमोनोआक्साइड और नाइट्रोजन को नियंत्रित करता है। इसके नहीं होने से हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक अस्थमा हो सकता है। इससे मौत हो सकती है। एक अंतरराष्ट्रीय स्टडी में कहा गया है कि पर्यावरण और हरियाली का ध्यान नहीं रखने से चार गुना ज्यादा मौतें होती हैं। यह पक्ष कोर्ट में भी रखा गया है। उन्होंने बताया कि वीवीडब्ल्यूए ने वसंत विहार में 2000 से भी ज्यादा हरे पेड़ों की अवैध कटाई और छंटाई की है। इसके लिए लगभग सभी घरों से 2-2 हजार रुपये की वसूली भी की गई है। यहां 7 हजार से अधिक पेड़ हैं। आपत्ति करने पर वीवीडब्ल्यूए ने पहले संबंधित संस्थाओं से अनुमति लेने की बात कही थी, लेकिन अनुमति की कॉपी नहीं दिखा पाए। तब उन्हें एनजीटी कोर्ट में घसीटा गया।
वीवीडब्ल्यूए ने कोर्ट में दिया ये जवाब
इस मामले में एनजीटी अब तक कई दौर की सुनवाई कर चुका है। 03 जनवरी को एनजीटी ने वीवीडब्ल्यूए समेत सभी जिम्मेदारों को नोटिस जारी कर हलफनामा मांगा था। 19 जनवरी को हुई सुनवाई के दौरान वीवीडब्ल्यूए ने कोर्ट में पेश हलफनामे में कहा है कि पेड़ों की छंटाई का कोई पर्यावरणीय प्रभाव नहीं है। छंटाई के लिए किसी अनुमति की आवश्यकता नहीं है। इसके बाद कोर्ट ने अधिकृत संस्थाओं को नियम, कानून और पर्यावरण को ध्यान में रखकर ही यह कार्य करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने यह भी साफ किया है कि वीवीडब्ल्यूए कोई सरकारी संस्था नहीं है और न ही जमीनी अधिकार रखने वाली संस्था है। इसलिए वह यह काम नहीं कर सकती। डा. वगाइ ने सवाल उठाया कि पहले वीवीडब्ल्यूए ने निवासियों को गुमराह क्यों किया कि एमसीडी ने मंजूरी दे दी है और पीडब्ल्यूडी से मंजूरी का इंतजार है? जबकि अब वही लोग कोर्ट में हलफनामा देकर कह रहे हैं कि मंजूरी की कोई जरूरत नहीं है।