नई दिल्ली: दिल्ली से गिरफ्तार ISIS मॉड्यूल का आतंकी रिजवान फरारी के दौरान फिर से ISIS को भारत में खड़ा करने के लिए काम कर रहा था और कॉलेज के युवाओं को अपने तरफ आकर्षित करने की कोशिश कर रहा था। इसके लिए उसने सोशल मीडिया पर कुछ ऐसी App का सहारा लिया था जिससे वो जेहाद के नाम पर दिल्ली एनसीआर के युवाओं को भड़का कर ISIS में शामिल करा सके।
2018 में ISIS में हुआ था शामिल
रिजवान महज 23 साल की उम्र में वर्ष 2018 में ISIS जॉइन कर चुका था। उसी वक्त जामिया इलाके से रिजवान को स्पेशल सेल ने हिरासत में भी लिया था। वह ISIS के एक बड़े आतंकी अबु हुजैफा के लगातार संपर्क में था। लेकिन उस वक्त रिजवान को आतंकवादी बनने से सेंट्रल एजेंसियों ने रोका था। उसे एक मौका दिया था और उसे डिरेडिक्लाइजेशन के लिए भेज दिया गया था। यानी उसे मुख्यधारा में जुड़ने का एक मौका दिया गया था।
मुख्य धारा में शामिल होने का पूरा मौका दिया
इसकी एक वजह यह भी थी की रिजवान के पिता दिल्ली के एक बड़े एजुकेशन संस्थान जामिया में सेक्शन ऑफिसर थे। रिजवान काफी पढ़ा लिखा था और उस वक्त उससे हुई पूछताछ में एजेंसियों को लग रहा था कि दिल्ली के एक युवा लड़के का ब्रेन वॉश किया गया है। ऐसे में एजेंसियों को लगता था कि रिजवान आतंकवाद का रास्ता छोड़ सकता है इसलिए उसे एक मौका देते हुए डिरेडिक्लाइजेशन जॉइन करवाया गया था। लेकिन रिजवान ने डिरेडिक्लाइजेशन से बाहर आने के बाद भी आतंकवाद का रास्ता नहीं छोड़ा और वो लगातार जामिया औऱ दरियागंज इलाके से ISIS के संपर्क में रहा।
पाकिस्तान के अबु हुजैफा के संपर्क में था रिजवान
रिजवान जिस अबु हुजैफा के सम्पर्क में था वह पाकिस्तान से भारत के युवाओं को ISIS में भर्ती करने का काम कर रहा था। अबु हुजैफा 2019 में अमेरिका के ड्रोन हमले में मारा गया था। रिजवान जिस वक्त ISIS के सम्पर्क में आया उस वक्त उसने जामिया में एक अरेबिक ढाबा भी खोला था। इसके बाद उसने फायर सेफ्टी से जुड़ी एक कंपनी में जॉब भी किया था।