नई दिल्ली: पुलिस ने अदालत में दायर अपनी दूसरी चार्जशीट में कहा है कि आम आदमी पार्टी के निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दंगों को हवा देने के लिए श्रमशक्ति की आपूर्ति के नाम पर मनी लॉन्ड्रिंग के उद्देश्य से फर्जी बिल उपलब्ध कराए थे। अदालत ने पिछले साल खजूरी खास में सांप्रदायिक हिंसा से संबंधित मामले में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र उमर खालिद के खिलाफ दायर सप्लिमेंट्री चार्जशीट या पूरक आरोपपत्र पर 5 जनवरी को संज्ञान लिया था। मामले में हुसैन और अन्य के खिलाफ मुख्य आरोपपत्र जून में दायर किया गया था।
‘2 लोगों से कैश लेकर पाठक को दिया’
पूरक आरोपपत्र में कहा गया है कि जांच के दौरान गवाह रोशन पाठक से कथित तौर पर संशोधित नागरिकता कानून विरोधी प्रदर्शनों की तैयारी के लिए जनवरी 2020 में हुसैन द्वारा किए गए वित्तीय लेनदेन के बारे में पूछताछ की गई। इसमें कहा गया कि हुसैन की कंपनियों में से एक में एकाउंटेंट के रूप में काम करनेवाले पाठक ने पुलिस को बताया था कि उसने कथित तौर पर 2 लोगों (अमित गुप्ता और मनोज ठाकुर) से कैश लिया था और इस पैसे को उसने उसे दे दिया था।
‘पैसे का इस्तेमाल दंगे कराने में हुआ’
आरोपपत्र में कहा गया, ‘इससे पता चला कि ताहिर हुसैन ने अपनी कंपनी के खाते से पैसे को अन्य कंपनियों के खातों में भेजा था, जिसका ब्योरा पूर्व के आरोपपत्र में दाखिल किया जा चुका है, और पैसे को फिर अपने पास वापस लाने के लिए उसने रोशन पाठक का इस्तेमाल किया। इस नकदी का इस्तेमाल ताहिर हुसैन ने फिर उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दंगे कराने के लिए किया।’ इसमें आगे आरोप लगाया गया है कि हुसैन द्वारा किए गए फर्जीवाड़े और धोखाधड़ी से संबंधित तथ्य तब सामने आए जब उसने धन को अपनी मुखौटा कंपनी के खातों में भेजने के लिए अपने साझेदार नितेश गुप्ता से कहा।
हुसैन और अमित गुप्ता के खिलाफ ED कर रही जांच
चार्जशीट के मुताबिक, हुसैन ने इन लेन-देन के संबंध में श्रमशक्ति की आपूर्ति के फर्जी बिल नितेश गुप्ता को उपलब्ध कराए, जबकि असल में इस तरह की कोई सेवा कभी उपलब्ध ही नहीं कराई गई। आरोपपत्र में कहा गया है, ‘प्रवर्तन निदेशालय ने ताहिर हुसैन से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग संबंधी अपनी जांच में इन फर्जी बिलों को जब्त किया। वर्तमान मामले की जांच के दौरान कुछ फर्जी बिलों की फोटो कॉपी नितेश गुप्ता द्वारा उपलब्ध कराई गईं। इसलिए आरोपी ताहिर हुसैन के खिलाफ भादंसं की धारा 420 (धोखाधड़ी), 467 (फर्जीवाड़ा) लगाई गई हैं।’ प्रवर्तन निदेशालय ने भी इस संबंध में हुसैन और अमित गुप्ता के खिलाफ धनशोधन का मामला दर्ज किया है।
‘शाहीन बाग में रची गई थी दंगे की साजिश’
चार्जशीट में पुलिस ने आरोप लगाया है कि एक और गवाह हुसैन के चालक राहुल कसाना ने 8 जनवरी 2020 को हुई एक बैठक की पुष्टि की है। पुलिस ने आरोप लगाया है कि AAP के तत्कालीन पार्षद हुसैन, कार्यकर्ता खालिद सैफी और उमर खालिद के बीच शाहीन बाग इलाके में हुई थी जिसमें उन्होंने CAA विरोधी प्रदर्शनों की आड़ में दंगों की साजिश रची। चार्जशीट में आगे दावा किया गया है कि मामले में पुलिस हिरासत में पूछताछ के दौरान सैफी ने दंगों में हुसैन और उमर खालिद के साथ अपनी भूमिका का खुलासा किया था। उत्तर-पूर्वी दिल्ली में पिछले साल फरवरी में हुए सांप्रदायिक दंगों में कम से कम 53 लोग मारे गए थे और लगभग 200 अन्य घायल हुए थे। (भाषा)