नई दिल्ली: अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार मांग रही दिल्ली सरकार की याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट फैसला सुना रहा है। इस मामले को चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच ने सुना है। इस साल 18 जनवरी को बेंच ने सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था। दिल्ली सरकार ने कोर्ट में दलील दी है कि 2018 में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ कह चुकी है कि भूमि और पुलिस जैसे कुछ मामलों को छोड़कर बाकी सभी मामलों में दिल्ली की चुनी हुई सरकार की सर्वोच्चता रहेगी। दिल्ली का प्रशासन चलाने के लिए आईएएस अधिकारियों पर राज्य सरकार का पूरा नियंत्रण ज़रूरी है।
केंद्र सरकार का क्या है पक्ष?
वहीं, केंद्र सरकार ने कहा था कि गवर्नमेंट ऑफ एनसीटी ऑफ दिल्ली एक्ट (GNCTD Act) में किए गए संशोधन से स्थिति में बदलाव हुआ है। दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी है, यहां की सरकार को पूर्ण राज्य की सरकार जैसे अधिकार नहीं दिए जा सकते। केंद्र सरकार ने यह भी कहा कि दिल्ली सरकार राजनीतिक अपरिपक्वता के चलते लगातार विवाद की स्थिति बनाए रखना चाहती है।
काफी समय से लंबित है यह विवाद
4 जुलाई 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र बनाम दिल्ली विवाद के कई मसलों पर फैसला दिया था लेकिन सर्विसेज यानी अधिकारियों पर नियंत्रण जैसे कुछ मुद्दों को आगे की सुनवाई के लिए छोड़ दिया था। 14 फरवरी 2019 को इस मसले पर 2 जजों की बेंच ने फैसला दिया था लेकिन दोनों जजों, जस्टिस ए के सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण का निर्णय अलग-अलग था। इसके बाद मामला 3 जजों की बेंच के सामने लगा और आखिरकार चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच ने मामला सुना। अब आज इस मामले पर फैसला आना है।
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