Wednesday, December 18, 2024
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Stubble burning in Punjab: क्या पंजाब में AAP सरकार दिल्ली को वायु प्रदूषण से निजात दिलाने में मदद करेगी?

हर साल सर्दियों के मौसम की शुरुआत हरियाणा और पंजाब में पराली जलाने से होती है और मौसम संबंधी परिस्थितियां उस प्रदूषण को दिल्ली की ओर ले जाती हैं। स्थिति तब और खराब हो जाती है जब ठंड/कोहरे की स्थिति प्रदूषकों के ठहराव में सहायक होती है।

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published : Sep 20, 2022 17:16 IST, Updated : Sep 20, 2022 17:16 IST
Stubble burning
Image Source : FILE PHOTO Stubble burning

Highlights

  • पराली प्रबंधन के लिए पंजाब, दिल्ली ने मिलाया हाथ
  • पराली पर पूसा बायो डीकंपोजर का छिड़काव किया जाएगा
  • पराली जलाने से निपटने के लिए पंजाब ने बनाई रणनीति

Stubble Burning in Punjab: पंजाब में अपनी सरकार बना चुकी आम आदमी पार्टी (AAP), क्या दिल्ली सर्दियों में ताजी हवा में सांस लेने की उम्मीद कर सकती है? क्या दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, जिन्होंने राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण के लिए हमेशा पड़ोसी हरियाणा और पंजाब में पराली जलाने को जिम्मेदार ठहराया था, यह सुनिश्चित करेंगे कि उनकी पार्टी की सरकार इस सर्दी में दिल्ली की समस्या पराली जलाने नहीं देगी?

हर साल सर्दियों के मौसम की शुरुआत हरियाणा और पंजाब में पराली जलाने से होती है और मौसम संबंधी परिस्थितियां उस प्रदूषण को दिल्ली की ओर ले जाती हैं। स्थिति तब और खराब हो जाती है जब ठंड/कोहरे की स्थिति प्रदूषकों के ठहराव में सहायक होती है। सालों से यह धारणा रही है कि पंजाब और हरियाणा के खेतों में जलने वाली पराली ही दिल्ली के वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार है, जबकि विज्ञान ने उत्सर्जन के अन्य स्रोत भी स्थापित किए हैं।

दिल्ली की तरह पंजाब में बायो-डीकंपोस्टर पर जोर

आप नेता कह चुके हैं कि, "जैसा कि हमने दिल्ली में किया है, हम पंजाब में बायो-डीकंपोस्टर पर जोर देंगे। हम सब्सिडी देने या किसानों को मुफ्त देने के बारे में सोचेंगे और इसमें हैप्पी सीडर जैसी मशीनें भी शामिल हैं जो इस समस्या से निपटने में मदद कर सकती हैं।" दिल्ली के मंत्री ने भी कहा था कि अब जब आप पंजाब में भी सत्ता में हैं, हम बेहतर योजना बनाएंगे और बेहतर समन्वय करेंगे।" हालांकि, ऐसा करना आसान है, क्योंकि पराली जलाना बड़ी तस्वीर का सिर्फ एक हिस्सा है। दिल्ली के लिए उत्सर्जन के स्रोतों में परिवहन, दिल्ली के आसपास बिजली प्लांट, स्थानीय स्रोत, ईंट भट्टे और निश्चित रूप से पराली जलाना शामिल हैं।

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Image Source : FILE PHOTO
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पराली प्रबंधन के लिए पंजाब, दिल्ली ने मिलाया हाथ
आपको बता दें कि हाल ही में पंजाब और दिल्ली सरकार ने पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर पंजाब में 5,000 एकड़ में पूसा बायो-डीकंपोजर का छिड़काव कर खेतों में पराली का प्रबंधन कर पराली जलाने से निपटने के लिए हाथ मिलाया है। पंजाब के कृषि मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल धालीवाल ने नई दिल्ली में पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण के प्रबंधन को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की थी, जिन्होंने उन्हें पूरा समर्थन देने का आश्वासन दिया था।

पराली पर पूसा बायो डीकंपोजर का छिड़काव किया जाएगा
यह परियोजना दोनों राज्यों की सरकारों द्वारा संयुक्त रूप से की जाएगी। इस प्रोसेस के तहत पराली पर पूसा बायो डीकंपोजर का छिड़काव किया जाएगा, जिसके बाद पराली मिट्टी में मिल जाती है, इसलिए किसानों को पराली जलाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। पंजाब सरकार ने धान की पराली से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए पर्याप्त तैयारी की है, जिसके तहत सब्सिडी पर किसानों को विभिन्न प्रकार के उपकरण उपलब्ध कराए जा रहे हैं, सभी जिलों में जागरूकता अभियान और निगरानी टीमों का गठन किया गया है।

धान उत्पादकों को प्रति एकड़ 2500 रुपये देने का प्रस्ताव
पराली न जलाने पर किसानों को नकद प्रोत्साहन प्रस्ताव ठुकराने के लिए केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए धालीवाल ने इस कदम को किसान विरोधी, पंजाब विरोधी बताया और कहा कि राज्य सरकार ने धान उत्पादकों को प्रति एकड़ 2500 रुपये देने का प्रस्ताव रखा है। उन्होंने कहा कि पंजाब के ग्रामीण इलाकों में बड़े पैमाने पर जागरूकता अभियान चलाया जाएगा जिसमें ग्रामीण विकास और पंचायत के अधिकारी शामिल होंगे ताकि किसानों को पराली के प्रबंधन के लिए राजी किया जा सके।

पराली जलाने से निपटने के लिए पंजाब ने बनाई रणनीति
पंजाब के 4 कैबिनेट मंत्रियों ने विशेषज्ञों के साथ मिलकर पराली जलाने से निपटने और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए एक संयुक्त रणनीति तैयार कर ली है। मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल, गुरमीत सिंह मीत हेयर, अमन अरोड़ा और हरजोत बैंस ने 27 सितंबर से किसानों को धान की पराली जलाने के दुष्परिणामों और इसके प्रबंधन के बारे में जागरूक करने के लिए जागरूकता अभियान के साथ एक योजना तैयार की। अभियान के पहले चरण के तहत, विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के छात्रों का नामांकन किया जाएगा और उन्हें विशेषज्ञों द्वारा पराली जलाने और मिट्टी में पराली के अवशोषण के हानिकारक प्रभावों के बारे में ट्रेनिंग दी जाएगी।

28 सितंबर को लुधियाना में पंजाब कृषि विश्वविद्यालय और 29 सितंबर को अमृतसर के गुरु नानक देव विश्वविद्यालय में विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इसके बाद छात्र राज्य भर के गांवों में जाकर पराली जलाने के खिलाफ लोगों को जागरूक करेंगे। कृषि मंत्री धालीवाल ने कहा कि किसानों को हैप्पी सीडर मशीनों पर सब्सिडी के लिए आवेदन करने के लिए 15 दिन की समय सीमा बढ़ा दी गई है ताकि अधिक से अधिक किसान बिना पराली जलाए गेहूं की बुआई कर सकें।

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