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सोशल एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक और 20 अन्य को पुलिस ने हिरासत में लिया, लद्दाख भवन के बाहर कर रहे थे प्रदर्शन

सोशल एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक सहित अन्य कई लोगों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। ये सभी लोग दिल्ली में लद्दाख भवन के आगे प्रदर्शन कर रहे हैं।

Edited By: Amar Deep
Published on: October 13, 2024 17:01 IST
लद्दाख भवन के बाहर कर रहे थे प्रदर्शन।- India TV Hindi
Image Source : PTI लद्दाख भवन के बाहर कर रहे थे प्रदर्शन।

नई दिल्ली: लद्दाख भवन के बाहर पिछले कई दिनों से सोशल एक्टिविस्ट प्रदर्शन कर रहे हैं। उनके साथ अन्य लोग भी प्रदर्शन में शामिल हुए हैं। वहीं रविवार को दिल्ली पुलिस ने प्रदर्शन करने को लेकर सोनम वांगचुक और 20 अन्य लोगों को हिरासत में ले लिया। दिल्ली पुलिस ने अधिकारियों ने बताया कि सोनम वांगचुक और उनके साथ प्रदर्शन कर रहे करीब 20 से 25 लोगों को हिरासत में लिया गया है। उन्होंने बताया कि सभी लोगों को मंदिर मार्ग थाना ले जाया जा रहा है। वहीं मामले को लेकर देखते हुए और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए मौके पर भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया है।

नहीं थी प्रदर्शन कर ने की परमिशन

दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि प्रदर्शन कर रहे लोगों को लद्दाख भवन के बाहर बैठने की अनुमति नहीं दी गई है। पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘‘उन्होंने जंतर मंतर पर प्रदर्शन करने के लिए अर्जी दी है। उनकी अर्जी पर विचार किया जा रहा है। उन्हें किसी और स्थान पर प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं है। हमने कुछ लोगों को हिरासत में लिया है जिन्हें जल्द ही रिहा कर दिया जाएगा।’’ फिलहाल प्रदर्शन कर रहे लोगों को थाने भेज दिया गया है। वहीं कुछ प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वह प्रदर्शन नहीं कर रहे, थे बल्कि शांतिपूर्वक बैठे थे। 

क्या है मांग

बता दें कि सोशल एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग कर रहे हैं। अपनी इस मांग को लेकर वह अपने समर्थकों के साथ लेह से दिल्ली आए हैं। इससे पहले भी दिल्ली पुलिस ने 30 सितंबर को उन्हें दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर हिरासत में ले लिया था। हालांकि उन्हें दो अक्टूबर की रात को रिहा भी कर दिया गया था। इसके बाद वह दोबारा से प्रदर्शन कर रहे थे। सोनम वांगचुक पीएम मोदी सहित शीर्ष नेताओं से मुलाकात करने की मांग कर रहे हैं। 

क्या होती है छठी अनुसूची

दरअसल, संविधान की छठी अनुसूची में पूर्वोत्तर के राज्यों- असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम के आदिवासी क्षेत्रों के प्रशासन के विशेष प्रावधान हैं। उनके अनुसार स्वायत्त परिषदों की स्थापना की जाती है, जिनके पास इन क्षेत्रों पर स्वतंत्र रूप से शासन करने के लिए विधायी, न्यायिक, कार्यकारी और वित्तीय शक्तियां हैं। ऐसे में प्रदर्शन कर रहे लोग लद्दाख को राज्य का दर्जा देने, उसके लिए लोक सेवा आयोग तथा लेह और करगिल जिलों के लिए अलग लोकसभा सीटों की भी मांग कर रहे हैं। (इनपुट- एजेंसी)

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