Highlights
- देश की सबसे सुरक्षित तिहाड़ जेल में बंद हैं कई गैंगस्टर्स
- गैंगस्टर्स के पास पहुंच रहे हैं मोबाइल फोन
- कैदियों के लिए जैमर भी हो जाते हैं बेअसर
Sidhu Moose Wala murder: संपत नेहरा, नीरज बवाना, लॉरेंस बिश्नोई और हाशिम बाबा, दिल्ली-एनसीआर से लेकर पंजाब और हरियाणा तक में अपनी धमक रखने वाले ये गैंगस्टर्स देश की सबसे सुरक्षित तिहाड़ जेल में बंद है। तो कायदे से इस गैंग के गुर्गे खत्म हो जाने चाहिए थे लेकिन न तो इनकी गैंग खत्म हुई और न ही जेल में बैठे इन गैंगस्टर्स की धमक कम हुई। हकीकत तो ये है कि जेल में बैठकर ये आराम से अपनी गैंग को न सिर्फ ऑपरेट कर रहे है बल्कि इनका धंधा और भी ज्यादा चल पड़ा है। हालांकि गैंगस्टर गोगी की हत्या के बाद जेल प्रशासन न सिर्फ सतर्क हुआ बल्कि सख्ती भी बढ़ाई।
गैंगस्टर्स के पास पहुंच रहे हैं मोबाइल फोन
तिहाड़ जेल में अधिकारी रहे सुनील गुप्ता की माने तो गैंगस्टर्स के पास पहुंच रहे मोबाइल फोन इसकी जड़ है। एक बार जब जेल में बन्द इन गैंगस्टर्स के पास मोबाइल फोन पहुंच जाता है तो न सिर्फ ये आराम से अपना गैंग चलाते है बल्कि जेल के अंदर सामान्य कैदियों के सामने अपनी पहुंच दिखाते हैं। अगर कोई कैदी बढ़िया डील डॉल का दिखता है तो ये उसकी जमानत भी करवाने में मदद करते है और जब वो बाहर निकलता है तो इनके लिए काम करने लगता है। उसे इस बात का भी डर नहीं होता कि अगर वो कभी जेल गया तो उसे किसी से डरने की जरूरत है।
तिहाड़ की अलग अलग जेलों में कई बड़े और नामी गैंगस्टर्स बंद है। मसलन इनमें से लॉरेंस बिश्नोई (फिलहाल स्पेशल सेल की रिमांड पर), लॉरेंस तिहाड़ की जेल नम्बर 8 में था, संपत नेहरा तिहाड़ जेल की 5 नंबर जेल में है। जबकि काला जठेड़ी और काला राणा स्पेशल सेल की कस्टडी तो हाशिम बाबा मंडोली जेल में है। जबकि गोल्डी बरार अभी फरार है और आशंका है कि वो कनाडा में छिपा बैठा है। ये सभी एक दूसरे के साथ मिलकर काम करते हैं। वहीं नीरज बवाना और टिल्लू ताजपुरिया दोनों तिहाड़ जेल में बंद है और बम्बइया राजस्थान की जेल में है। ये तीनों आपस में मिलकर काम करते हैं। पंजाब के मानसा में जैसे ही सिद्धू मूसेवाला की हत्या हुई तो जेल प्रशासन तुरंत सतर्क हो गया और जेल में बन्द गैंगस्टर के सेल और बैरक के पास सुरक्षा बढ़ा दी। प्रशासन ने ये कदम गैंगवार की आशंका के चलते उठाया।
कैसे पहुंचते है जेल में मोबाइल?
तिहाड़ जेल के पूर्व पीआरओ सुनील गुप्ता की माने तो इसकी कई वजहें होती है-
- कभी कभार सुरक्षा में लापरवाही हो जाती है।
- कभी लालच में सुरक्षाकर्मी ही मिल जाता है।
- देखने में आया है लोग अच्छे से पैककर बाहर से अंदाजे से फेंक देते हैं।
- कैदी अपने शरीर मे छिपा कर लाते हैं, कुछ दिन पहले तो एक कैदी ने छोटा मोबाइल निगल लिया था।
- बाहर से आने वाले अनाज और कपड़ों में छिपाकर।
जेल में कैसे करते है मोबाइल का इस्तेमाल?
- कैदी जैमर का तार काट देते है
- उन्हें जेल की वो लोकेशन भी पता होती है जहां जैमर का असर नहीं होता
- कई बार ये दूसरों का नेट इस्तेमाल करते हैं
- इस्तेमाल करने के बाद ये मोबाइल अपने सेल के बाहर छिपा देते हैं और जांच के दौरान बच जाते हैं।
यही वजह है कि तमाम सख्ती के बावजूद कैदी कोई न कोई रास्ता निकाल ही लेते हैं। जिस वक्त गैंगस्टर जितेंद्र गोगी की हत्या हुई इस वक्त भी जांच में पता लगा था कि जेल में बैठकर किस तरह से टिल्लू ने गोगी की हत्या की साजिश रची थी। इसके बाद जेल प्रशासन ने बहुत सख्ती बढ़ाई थी। जेल में बैठकर सुकेश चंद्रशेखर ने भी 200 करोड़ की ठगी को अंजाम दिया और बाद में सुकेश की मदद की शक में 8 जेल के कर्मचारी निलंबित भी हुए थे। सुनील गुप्ता का कहना है कि जेल में प्रोफेशनल सुपरिटेंडेंट नहीं है ये क्लर्क से प्रमोटी है जब तक प्रोफेशनल सुपरिटेंडेंट नही होंगे जेल से ऐसे गैंग चलते रहेंगे।