देश को झकझोर देने वाले श्रद्धा मर्डर केस के मुख्य आरोपी आफताब का नार्को टेस्ट कराया जाएगा। आफताब का नार्को टेस्ट कैसे होगा, नार्को से पहले आफताब के कौन-कौन से टेस्ट करने जरूरी हैं। नार्को टेस्ट कैसे किया जाता है, क्या इस टेस्ट से आरोपी सब सच उगलने लगता है। इन सारे सवालों के जवाब इंडिया टीवी ने आफताब के नार्को टेस्ट में मौजूद रहने वाली दिल्ली FSL की डायरेक्टर दीपा वर्मा से पूछे। FSL की डायरेक्टर ने एक्सक्लूसीव बातचीत में हर एक अहम बात बताई।
ऐसे होगा आफताब का नार्को टेस्ट
कोर्ट ने ऑर्डर दिया है कि 5 दिन के भीतर आफताब का नार्को टेस्ट कराना है। इंडिया टीवी के संवाददाता अभय पराशर ने दीपा वर्मा से इसका प्रोसेस जाना। दिल्ली FSL डायरेक्टर दीपा वर्मा ने बताया कि नार्को टेस्ट 5 दिन में करवाना स्वभाविक रूप से तो संभव नहीं है, क्योंकि कई सारे टेस्ट होते हैं। टेस्ट की शुरुआत हो सकती है। अगर कोर्ट ने डायरेक्शन दिया है तो शुरुआत कर दी जाएगी। लेकिन वो 5 दिन में पूरा हो पाएगा ये संभव नहीं है।
इसका प्रोसेस क्या होता है?
दीपा वर्मा ने बताया कि इसके लिए एक टीम तैयार की जाती है, जिसमें मेडिकल बैकग्राउंड एक्सपर्ट्स रहते हैं, एनेथिसियन्स रहते हैं, साइक्लॉजिस्ट रहते हैं। उससे पहले मेडिकल फिटनेस चेक करनी होती है। केस की डिटेल्स चाहिए होती है। उसी से साइक्लॉजिस्ट सवाल तैयार करते हैं। कई टेस्ट होते हैं। कोर्ट के डायरेक्शन हैं कि 5 दिन में करने के तो पूरा कर लिया जाएगा, लेकिन कन्क्लूड नहीं हो सकता।
नार्को से पहले कौन-कौन से टेस्ट होते हैं?
दिल्ली FSL डायरेक्टर ने इंडिया टीवी को बताया कि बहुत सारे टेस्ट होते हैं। जब इंटरैक्शन होगा सब्जेक्ट (आफताब) के साथ तब पता लगेगा उस पर कौन-कौन से टेस्ट करने हैं। बेसिक टेस्ट जैसे पॉलीग्राफ भी हो सकता है, ब्रेन मैपिंग भी हो सकती है। कैसे किया जाना है, कब किया जाना है, कितने दिन बाद किया जाना है, ये सब्जेक्ट की स्टेब्लिटी के हिसाब से होता है।
कौन-कौन से सबूत हैं केस में मदद करेंगे?
दीपा वर्मा ने कहा कि जो भी सबूतों का कलेक्शन है वो पुलिस की प्रॉपर्टी है। उसी का अधिकार है वो कलेक्टेड एविडेन्स से किस तरीके से अपने सवाल तैयार करना चाहेंगे। जांच की डीटेल तो उन्हीं के पास है, वही जानेंगे कौन से किस लिंक को कनेक्ट करने के लिए उन्हें क्या सबूत चाहिए। आगे प्रॉसिक्यूशन में क्या रखना है ये सब अभी जांच टीम के ही पास है। हमारे पास जिस-जिस तरह के साइंटिफिक टेस्ट के लिए अनुरोध आता है वो साइंटिफिक टेस्ट करके उनको दे देते हैं। आगे उन्हीं के हाथ में होता है कि वो प्रॉसिक्यूशन से कैसे इसे प्रेजेंट करते हैं।
जांच में कितनी मुश्किल होती है और कैसे करते हैं?
दिल्ली FSL डायरेक्टर ने नार्को टेस्ट को लेकर कहा कि चैलेंजिंग तो रहता है। फॉरेंसिक हमेशा चैलेंज के ही साथ आगे बढ़ता है। सैंपल के हिसाब से सब तय होता है।
आफताब का कंडक्ट और व्यवहार कैसा लग रहा?
दीपा वर्मा ने कहा कि मैं कॉमन मैन के चलते कुछ नहीं कह सकती। इसकी कोई वैल्यू नहीं है और साइंटिफिक जब तक कंडक्ट नहीं कर लूंगी तब तक कुछ भी कहना सही नहीं होगा।
नार्को टेस्ट में कितने प्रतिशत सच बोलेगा आफताब?
इस सवाल पर दीपा वर्मा ने कहा कि ये जो साइंटिस्ट करेंगे उन्हीं की काबिलियत पर निर्भर होगा।
कोर्ट में कितना स्टैंड करता है नार्को टेस्ट?
नार्को टेस्ट की अदालत में मान्यता पर दीपा वर्मा ने कहा कि ये सब कोर्ट के विचार पर होता है। मेरा काम साइंटिफिक जांच का होता है जो हम करते हैं।