श्रद्धा मर्डर केस में लगातार छानबीन के बाद भी अब तक पुलिस के हाथ कुछ ठोस नहीं लगा है। इसी बीच इस पूरे मामले में मुंबई पुलिस की भूमिका पर भी प्रश्नचिह्न लग रहा है। मुंबई महानगर पुलिस की पहली गलती तो यह थी कि उसने वर्ष 2020 में श्रद्धा की शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया। अब मुंबई पुलिस की दूसरी बड़ी लापरवाही सामने आई है। अगर ये लापरवाही नहीं बरती गई होती तो श्रद्धा हत्याकांड जो मई माह में हुआ था, उसका खुलासा सितंबर माह में ही हो जाता। उस स्थिति में शायद सबूत खोजने में कम वक्त लगता।
श्रद्धा के पिता ने सितंबर में मुंबई पुलिस के पास अपनी बेटी के लापता होने की शिकायत दी थी। इस पर मुंबई पुलिस ने मिसिंग रिपोर्ट दर्ज की, लेकिन दिल्ली पुलिस को संपर्क नहीं किया। जबकि पुलिस को यह जानकारी दी गई थी कि वो आफताब के साथ दिल्ली में थी। बावजूद इसके मुंबई पुलिस ने दिल्ली की पुलिस से संपर्क नहीं किया।
...तो आफताब पहले ही गिरफ्तार हो जाता
मुंबई पुलिस ने दो महीने बाद 9 नवंबर को दिल्ली पुलिस को संपर्क किया था, जबकि श्रद्धा के लापता होने की शिकायत उनके पास सितंबर में ही आ गई थी। तब मुंबई पुलिस ने सिर्फ आफताब को वहां बुलाया था और हल्की पूछताछ करके उसे जाने दिया।
ऐसे में सवाल उठ रहा है कि अगर मुंबई पुलिस सितंबर में ही दिल्ली पुलिस से संपर्क साध लेती तो शायद श्रद्धा के बॉडी पार्ट्स को ढूंढने का काम पहले शुरू हो जाता और आफताब पहले ही गिरफ्तार हो गया होता।
साल 2020 में क्या हुआ था?
वर्ष 2020 में आफताब ने श्रद्धा की पिटाई की थी। तब श्रद्धा ने पुलिस को लिखित में शिकायत की थी। इसमें कहा गया था कि आफताब की पिटाई करता है और जान से मारने की धमकी भी दी है। साथ में कहता है कि वह उसे मारकर शरीर के टुकड़े कर देगा। हालांकि इस शिकायत को बाद में श्रद्धा ने वापस ले लिया था। लेकिन दो साल बाद आफताब ने जो धमकी दी थी, वो ही किया। श्रद्धा की हत्याकी और उसके शव के 35 टुकड़े करके ठिकाने लगा दिए।