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'बलशाली लड़ते नहीं, जोड़ते हैं, दुनिया भारत की तरफ देख रही है', मोहन भागवत ने दिया बयान

राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत सोमवार को दिल्ली दौरे पर हैं। इस दौरान यहां एक कार्यक्रम में उन्होंने अपने भाषण में कहा कि आज दुनिया भारत की तरफ आशा भरी निगाहों से देख रही है।

Reported By : Yogendra Tiwari Edited By : Avinash Rai Updated on: February 12, 2024 16:56 IST
rss chief mohan bhagwat statement in a programme in delhi said world is looking towards india- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO मोहन भागवत ने दिया बयान

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत सोमवार को दिल्ली दौरे पर है। यहां वे एक कार्यक्रम में भाग लेने पहुंचे। यहां अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि लड़ने की भाषा वही करते हैं, जिनको डर रहता है। जो बलशाली हैं, वह लड़ने की बात नहीं करते। वह समझाने की भाषा करता है। वह सबको अपना मानते हैं। हमको दुनिया को जीतना नहीं है, हमको सारी दुनिया को जोड़ना है। विश्व आज ठोकर खा रहा है, लड़खड़ा रहा है और भारत की तरफ आशा भरी निगाहों से देख रहा है। उन्होंने कहा कि जब ज्ञान की खोज दुनियाभर में चली, हमारे यहां भी चली, शाश्वत सुख देने वाला सत्य सभी को चाहिए थे। दुनिया और भारत में अंतर रहा। बाहर की खोज करते करते दुनिया रुक गई। हमने बाहर की खोज करने के बाद अंदर खोजना शुरू किया और सत्य तक पहुंच गए। 

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क्या बोले मोहन भागवत?

मोहन भागवत ने कहा कि कुछ भी प्राप्त करने के लिए तपस्या जरूरी है। तपस के तरीके भी एक हैं, बाहर की चीजों से मुक्त होकर, अंदर के सत्य को प्राप्त करो, बाकी दुनिया ने सोचा सुख बाहर है। उन्होंने बाहर की दुनिया में सुख देखा, लेकिन ये सुख टिकता ही नहीं। उसे बार-बार प्राप्त करना पड़ता है। उनका ध्येय बना ज्यादा से ज्यादा लंबा जिओ, ज्यादा से ज्यादा भोग करो। भोग की वस्तुए कम हैं और भोग करने वाले ज्यादा हैं, तो इसपर स्पर्धा होगी। स्पर्धा जीतने के लिए बलवान बनो, बलवान बनकर विजय प्राप्त करो, बाकी लोगों पर आपकी दया रहे, आपको जो चाहिए, जब चाहिए जैसा चाहिए लाकर दें, उनको रखो, फिर आप जो चाहते हो करो, यह जीवन का सत्य है। अगर बाहर की दुनिया में जाएंगे तो यही सत्य प्रतीत होता है। 

लेकिन हमने (भारतीयों) अंदर खोज की तो हमें जोड़ने वाला तत्व मिला, जिसे हम सत्य कहते हैं। सत्य कहता है सब अपने है। सत्य कहता है व्यक्तिवाद को छोड़ो, तुमको अकेले जीना नहीं है, सबके साथ मिलकर रहो, अहिंसा से चलो, संयम से रहो, चोरी मत करो, दूसरे के धन की इच्छा मत रखो। आज हम देखते हैं वह सब शाश्वत है। विश्व में कलह है, दुख है, लेकिन ऐसा क्यों है। ऐसा इसलिए है क्योंकि मिलजुल के चलने की प्रवृति नहीं है। हम ही सही बाकी सब गलत है, तुम सुधर जाओ नहीं तो हम छोड़ देंगे, नहीं तो हम तुम्हारे काम पकड़ के तुम्हें रास्ते पर लाएंगे। अगर नहीं माना तो हम तुमको मारेंगे और मार ही देंगे। उन्होंने कहा कि इस सत्य को जानने के लिए दुनिया में कितने ही रक्तपात हुए। आज भी हो रहे हैं। सब लोग एक ही बात कर रहे हैं। लेकिन हर स्थान अलग-अलग है। 

'हमको दुनिया को जोड़ना है'

सरसंघचालक ने कहा कि जो परम शक्तिशाली है, वही अहिंसक बन सकता है। अहिंसा की योग्यता भी प्राप्त करनी पड़ती है। आगे दुनिया को देखिए, लड़ने वाले लोगों को देश में या बाहर देखिए। लड़ने की भाषा का इस्तेमाल वही करते हैं जिन्हें डल रहता है। बलशाली वह हैं जो लड़ने की भाषा का इस्तेमाल नहीं करता। वह समझने की भाषा करता है, साथ बुलाते हैं, साथ चलने के लिए कहते हैं और वह सबको अपना मानते हैं, तो दुर्बल को बलशाली बनाते हैं। विविधिता में एकता को लेकर उन्होंने कहा कि विविधता में एकता हमारे देश में है। मैं कभी-कभी कहता हूं विविधता में एकता क्या है। एकता की ही विविधता हमारे देश में ध्यान में आती है। हम सब एक हैं, हम एक हैं, हम बड़े प्रतापी बन जाएंगे, सारी दुनिया को जीतेंगे, ऐसा नहीं है। हमको दुनिया को जीतन नहीं है, हमको दुनिया को जोड़ना है। 

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