Sunday, December 22, 2024
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राघव चड्ढा ने सुप्रीम कोर्ट का खटखटाया दरवाजा, राज्यसभा से निलंबन को दी चुनौती

राज्यसभा से अपने निलंबन को राघव चड्ढा ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। चार सांसदों की शिकायत के बाद राघव चड्ढा को विशेषाधिकार के उल्लंघन के लिए राज्यसभा से निलंबित किया गया है।

Edited By: Malaika Imam @MalaikaImam1
Published : Oct 10, 2023 14:56 IST, Updated : Oct 10, 2023 15:03 IST
राघव चड्ढा
Image Source : FILE PHOTO राघव चड्ढा

आम आदमी पार्टी (AAP) के सांसद राघव चड्ढा ने राज्यसभा से अपने निलंबन को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। अगस्त माह में राघव चड्ढा को निलंबित किया गया था। चार सांसदों की शिकायत के बाद राघव चड्ढा को 11 अगस्त को "विशेषाधिकार के उल्लंघन" के लिए राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया था। संसद के मॉनसून सत्र के आखिरी दिन राज्यसभा में राघव चड्ढा को नियमों के घोर उल्लंघन और अवमाननापूर्ण आचरण के चलते विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट आने तक निलंबित कर दिया गया था। 

राघव चड्ढा पर क्या है आरोप?

मॉनसून सत्र के अंतिम दिन सदन के नेता सदन पीयूष गोयल ने राघव चड्ढा द्वारा नियमों का उल्लंघन करने और सदन की एक समिति के लिए चार सदस्यों का नाम उनकी सहमति लिए बिना प्रस्तावित करने का मुद्दा उठाया। चड्ढा पर आरोप है कि उन्होंने राज्यसभा में ‘राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023’ को पारित कराने की प्रक्रिया के दौरान प्रवर समिति के गठन का प्रस्ताव दिया था और इस समिति के लिए चार सांसदों सस्मित पात्रा (बीजू जनता दल), एस फान्गनॉन कोन्याक (भारतीय जनता पार्टी), एम थंबीदुरई (ऑल इंडिया अन्ना द्रमुक मुनेत्र कषगम) और नरहरि अमीन (भाजपा) के नाम उनकी अनुमति के बिना शामिल किए थे। 

निलंबित किए जाने का प्रस्ताव 

पीयूष गोयल ने कहा था कि जिन सदस्यों के नाम चड्ढा ने समिति के लिए प्रस्तावित किए थे, उनका कहना है कि इसके लिए उनसे अनुमति नहीं ली गई थी। उनके अनुसार, सदस्यों की शिकायत से स्पष्ट होता है कि यह नियमों का और विशेषाधिकार का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि ये सदस्य अपने अधिकारों का संरक्षण चाहते हैं। गोयल ने कहा कि आप सदस्य राघव चड्ढा ने संसद के बाहर भी गलत बयान दिया। उन्होंने कहा कि यह मामला विशेषाधिकार समिति के पास जांच के लिए भेजा गया है। उन्होंने विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट आने तक चड्ढा को उच्च सदन से निलंबित किए जाने का प्रस्ताव रखा जिसे सदस्यों ने ध्वनिमत से मंजूरी दे दी। 

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