नवकार महामंत्र कार्यक्रम में बिना जूते पहने पहुंचे PM मोदी, लोगों के बीच बैठे; बोले- 'संसद भवन में जैन धर्म का प्रभाव'
नवकार महामंत्र कार्यक्रम में बिना जूते पहने पहुंचे PM मोदी, लोगों के बीच बैठे; बोले- 'संसद भवन में जैन धर्म का प्रभाव'
नवकार महामंत्र कार्यक्रम में श्रद्धा प्रकट करने के लिए पीएम मोदी बिना जूते पहने आए। उन्होंने नवकार महामंत्र का जाप करते हुए जैन धर्म के महत्व को बताया और नए संसद भवन में जैन संस्कृति के प्रभाव को रेखांकित किया।
Reported By : Devendra ParasharEdited By : Khushbu RawalPublished : Apr 09, 2025 12:14 pm IST, Updated : Apr 09, 2025 12:14 pm IST
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज नवकार महामंत्र दिवस में हिस्सा लिया। उन्होंने दिल्ली के विज्ञान भवन में “नवकार महामंत्र” का जाप किया। महावीर जयंती पर जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर के जन्म का जश्न मनाया जाता है। पवित्र जैन मंत्र के जरिए शांति, आध्यात्मिक जागृति और सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए 108 देशों के लोग भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए। नवकार महामंत्र कार्यक्रम में श्रद्धा प्रकट करने के लिए पीएम मोदी बिना जूते पहने आए। वे मंच पर नहीं बैठे, बल्कि सभी लोगों के साथ बैठे।
'जैन धर्म का प्रभाव संसद भवन पर दिखाई देता है'
पीएम मोदी ने इस मौके पर कहा कि जैन धर्म ने भारत की पहचान स्थापित करने में अमूल्य भूमिका निभाई है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इसके मूल्य आतंकवाद, युद्ध और पर्यावरण संरक्षण से जुड़ी वैश्विक चुनौतियों से पार पाने में मददगार हैं। मोदी ने 'नवकार महामंत्र दिवस' के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि उनकी सरकार इस प्राचीन धर्म की विरासत और शिक्षाओं के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि तीर्थंकरों की शिक्षाओं और मूर्तियों के जरिए इस धर्म का प्रभाव संसद भवन पर दिखाई देता है।
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प्रधानमंत्री मोदी
'जैन धर्म भारत की आध्यात्मिक भव्यता की रीढ़'
अनेकांतवाद के सिद्धांत का हवाला देते हुए मोदी ने कहा कि दुनिया को इसकी बहुत जरूरत है क्योंकि इसके तहत विभिन्न दृष्टिकोणों की सराहना की जाती है। अनेकांतवाद जैन धर्म में गैर-निरपेक्षता को बढ़ावा देने वाला एक प्रमुख सिद्धांत है। इसके तहत यह माना जाता है कि अंतिम सत्य को अलग-अलग तरीके से देखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि जैन धर्म में जीवन की पारस्परिक निर्भरता का खासा महत्व है और इसलिए इसमें मामूली हिंसा पर भी रोक है। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह शांति, सद्भाव और पर्यावरण संरक्षण के लिए सबसे अच्छा सबक है। मोदी ने कहा कि जैन साहित्य भारत की आध्यात्मिक भव्यता की रीढ़ है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार इसे संरक्षित करने के लिए कई कदम उठा रही है, जिसमें इसके प्राचीन ग्रंथों का डिजिटलीकरण और पाली व प्राकृत को शास्त्रीय भाषा घोषित करने की हालिया योजना भी शामिल है।
PM ने 9 प्रतिज्ञाएं लेने का किया अनुरोध
मोदी ने लोगों से जल संरक्षण, अपनी मां की याद में एक पेड़ लगाना, स्वच्छता को बढ़ावा देना, स्थानीय लोगों के लिए मुखर होना, देश में यात्रा करना, प्राकृतिक खेती को अपनाना, मोटे अनाजों का अधिक सेवन कर स्वस्थ जीवनशैली अपनाना और खाद्य तेल के उपयोग में 10 प्रतिशत की कटौती करना, गरीबों की मदद करना और खेल तथा योग को दिनचर्या में सम्मिलित करने समेत नौ प्रतिज्ञाएं लेने का अनुरोध किया। उन्होंने कार्यक्रम में मौजूद लोगों से देश भर में एकता का संदेश ले जाने और "भारत माता की जय" कहने वाले किसी भी व्यक्ति को गले लगाने को कहा।
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