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सार्वजनिक स्थलों पर देवी देवताओं की फोटो न लगाने की याचिका दिल्ली हाईकोर्ट में हुई खारिज, जानिए क्यों की गई थी ये मांग

दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिकाकर्ता ने खा था कि पेशाब करने, थूकने एवं कूड़ा डालने से रोकने के लिए दीवार पर देवी-देवताओं की तस्वीर लगाना अब आम बात हो गई है। इस पर कोर्ट को रोक लगानी चाहिए। क्योंकि तस्वीर लगे होने के बाद भी लोग वहां पेशाब आदि करते हैं।

Written By: Sudhanshu Gaur @SudhanshuGaur24
Published : Dec 19, 2022 14:39 IST, Updated : Dec 19, 2022 14:39 IST
दिल्ली हाईकोर्ट
Image Source : FILE दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका को सोमवार को खारिज कर दिया जिसमें सार्वजनिक स्थलों पर लोगों को मूत्र त्याग करने, थूकने या गंदगी फैलाने से रोकने के लिए दीवार पर देवी-देवताओं की तस्वीर लगाने की परिपाटी को रोकने का अनुरोध किया गया था। मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने याचिका को खारिज कर दिया। पीठ ने पहले दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। 

इससे समाज में गंभीर खतरा पैदा होता है 

याचिका में कहा गया कि यह आम परिपाटी हो गई है कि पेशाब करने, थूकने एवं कूड़ा डालने से रोकने के लिए दीवार पर देवी-देवताओं की तस्वीर लगा दी जाती है, जो समाज में गंभीर खतरा पैदा करते हैं, क्योंकि इन तस्वीरों को लगाना उन गतिविधियों को रोकने की गांरटी नहीं है, बल्कि लोग सार्वजनिक तौर पर इन पवित्र तस्वीरों पर पेशाब करते हैं या थूकते हैं। याचिकाकर्ता और अधिवक्ता गौरांग गुप्ता ने कहा, ‘‘यह पवित्र तस्वीरों की पवित्रता को भंग करता है। भय का इस्तेमाल लोगों को पेशाब करने या थूकने से रोकने के लिए किया जाता है। अपने धर्म में आस्था और उसे मानने की स्वतंत्रता से पैदा हुई भक्ति के भाव के मद्देनजर इस तरह के कार्यों की अनुमति नहीं दी जा सकती।’’

दीवारों पर पवित्र तस्वीरों को लगाना भारतीय दंड संहिता की धारा- 295 और 295 ए का उल्लंघन 

याचिका में कहा गया है कि सार्वजनिक स्थलों पर पेशाब करने, थूकने या कूड़ा फेंकने से रोकने के लिए दीवार पर पवित्र तस्वीरों को लगाना भारतीय दंड संहिता की धारा- 295 और 295 ए का उल्लंघन है, क्योंकि इससे आम जनता की भावना आहत होती है। याचिका में कहा गया है कि उच्च न्यायालय ने पहले के एक मामले में खुले में मूत्र त्याग की समस्या को स्वीकार किया था और अपने आदेश में कहा था कि दीवारों पर देवी-देवताओं की तस्वीरें लगाने की प्रथा के कारण लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत हो रही हैं।

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