Sunday, November 24, 2024
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आगरा से गुरुग्राम तक गंगा और यमुना के बीच की सभी जमीनें मेरी है... HC पहुंचे राजा साहब को देना पड़ेगा जुर्माना

याचिकाकर्ता कुँवर महेंद्र ध्वज प्रसाद सिंह ने दावा किया कि आगरा से मेरठ, अलीगढ़, बुलंदशहर तक गंगा और यमुना नदियों के बीच का क्षेत्र, दिल्ली, गुड़गांव और उत्तराखंड की 65 राजस्व संपदाएं पूर्ववर्ती संयुक्त प्रांत आगरा की संपत्ति है जो बेसवां परिवार रियासत के अंतर्गत आती है।

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published on: December 19, 2023 19:59 IST
अदालत ने आगरा से...- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO अदालत ने आगरा से गुरुग्राम तक जमीन के स्वामित्व का दावा करने वाले व्यक्ति पर लगाया जुर्माना

दिल्ली हाई कोर्ट ने आगरा से मेरठ तक गंगा और यमुना नदियों के बीच के क्षेत्र तथा दिल्ली, गुरुग्राम और उत्तराखंड की 65 राजस्व संपदाओं सहित अन्य स्थानों पर स्वामित्व का दावा करने वाली एक याचिका को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगा दिया। अदालत ने कहा कि यह पूरी तरह न्यायिक समय की बर्बादी है। जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने सोमवार को दिए गए एक आदेश में कहा, “मौजूदा रिट याचिका कानून की प्रक्रिया के दुरुपयोग और पूरी तरह न्यायिक समय की बर्बादी के अलावा कुछ नहीं है। उपरोक्त के मद्देनजर, यह अदालत याचिकाकर्ता पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाकर रिट याचिका को खारिज करने की इच्छुक है।’’

याचिका में क्या मांग की गई?

संबंधित आदेश अदालत की वेबसाइट पर मंगलवार को अपलोड किया गया। अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा यह जुर्माना आज से चार सप्ताह की अवधि के भीतर सशस्त्र बल युद्ध हताहत कल्याण कोष में जमा किया जाए। याचिकाकर्ता कुँवर महेंद्र ध्वज प्रसाद सिंह ने दावा किया कि आगरा से मेरठ, अलीगढ़, बुलंदशहर तक गंगा और यमुना नदियों के बीच का क्षेत्र, दिल्ली, गुड़गांव और उत्तराखंड की 65 राजस्व संपदाएं पूर्ववर्ती संयुक्त प्रांत आगरा की संपत्ति है जो बेसवां परिवार रियासत के अंतर्गत आती है। कहा गया कि जमीन याचिकाकर्ता के परिवार की है क्योंकि उसके पूर्वजों और भारत सरकार के बीच कोई विलय समझौता नहीं हुआ था।

खुद को बेसवां परिवार का उत्तराधिकारी बता रहा याचिकाकर्ता

हाई कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया जिसमें केंद्र को यह निर्देश दिए जाने की मांग की गई थी कि वह याचिकाकर्ता के दावे वाले क्षेत्र के लिए उसके साथ विलय, पंजीकरण या संधि करने की प्रक्रिया अपनाए और उसके लिए देय मुआवजे का भुगतान करे। खुद को बेसवां परिवार को उत्तराधिकारी बताने वाले याचिकाकर्ता ने केंद्र को यह निर्देश दिए जाने की भी मांग की कि उसके दावे वाले क्षेत्र में विलय संबंधी कानूनी प्रक्रिया अपनाए बिना लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा और स्थानीय निकायों के चुनाव न कराए जाएं।

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