दिल्ली के फिल्मिस्तान इलाके में रविवार को लगी आग ने 43 जिंदगियां खाक कर दीं। संकरी गलियों में चल रही अवैध फैक्ट्रियों में जब सुबह 5.30 बजे आग लगी तब वहां बच्चों के स्कूल बैग और खिलौने बनाए जा रहे थे। दिन रात मेहनत कर मजदूर उसी फैक्ट्री में सो रहे थे। आग इतनी भीषण थी कि अंदर फंसे लोगों को बाहर निकलने का मौका भी नहीं मिला। ये फैक्ट्री किसी किले से कम नहीं थी । चारों तरह ऊंची ऊंची दीवारें और अंदर बाहर निकलने के लिए सिर्फ एक दरवाजा। समझना मुश्किल नहीं, जब आग लगी होगी तो यहां का मंजर कैसा रहा होगा। बताया जा रहा है कि आग शॉर्ट सर्किट के चलते लगी। रास्ता संकरा होने से रेस्क्यू में आईं मुश्किल। मृतकों में ज्यादातर मजदूर बिहार के रहने वाले बताए जा रहे हैं।
सरकारी महकमा बता रहा है कि रिहायशी इलाकों में अवैध फैक्ट्री चल रही थी। फैक्ट्री बिना NOC के चलाई जा रही थी। फैक्ट्री के अंदर फायर सेफ्टी के इंतज़ाम नहीं थे। लेकिन सवाल है कि कानून का अमल पहले क्यों नहीं हुआ। जब देश की राजधानी के इतने बुरे हाल हैं तो देश के सुदूर इलाकों में कितने नियम कायदे अमल में लाए जा रहे होंगे, इस पर प्रश्न चिह्न है।
यह अग्निकांड कई सुलगते सवाल पीछे छोड़ गया है जिनके जवाब न तलाशे गए तो ऐसे अग्निकांड और मौतें आगे भी होती रहेंगी-
1. अग्निकांड में मौत का जिम्मेदार कौन?
2. घरों के अंदर कैसे चल रही थीं फैक्ट्रियां?
3. संकरी गलियों में फैक्ट्रियों की इजाज़त कैसे?
4. फैक्ट्रियों में मज़दूरों को सोने की इजाज़त क्यों?
5. बार-बार अग्निकांड से सबक क्यों नहीं लेते?
न होती ये 10 गलतियां तो बच जातीं 43 जिंदगियां
1. रिहाइशी इलाके में फैक्ट्रियां अवैध तरीके से चल रही थीं
2. तीन घरों में चल रहीं फैक्ट्रियों के पास NOC नहीं थी
3. फैक्ट्रियों के पास फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट नहीं थे
4. फैक्ट्रियों में काम करने वाले मज़दूर वहीं रहते थे
5. हादसे के वक्त एक कमरे में 20-20 लोग सो रहे थे
6. फायर ब्रिगेड को सिर्फ बिल्डिंग में आग लगने की सूचना मिली
7. फायर ब्रिगेड को लोगों के फंसे होने की जानकारी नहीं मिली
8. सही जानकारी मिलती तो फायर ब्रिगेड ज्यादा तैयारी से आती
9. संकरी गलियां होने की वजह से बढ़ा मौत का आंकड़ा
10. पानी का साधन नहीं होने से दूर-दूर से लाना पड़ा पानी