नई दिल्ली. दिल्ली समेत पूरे देश में रमज़ान का मुकद्दस महीना शनिवार से शुरू होगा। उलेमा ने कोरोना वायरस को देखते हुए मुस्लिम समुदाय से घरों में ही इबादत करने की अपील की है। दिल्ली की जामा मस्जिद के शाही इमाम सैय्यद अहमद बुखारी ने कहा कि मैं सभी से अपील करता हूं कि रमजान के दौरान अपने पड़ोसियों को अपने घरों में नमाज के लिए न बुलाएं। इस बात का विशेष ध्यान रखें की एक कमरे में तीन लोग से ज्यादा नमाज न पढ़ें चाहे आप परिवार के साथ ही क्यों ने हों। कोरोना वायरस के खात्म के बाद हम फिर इकट्ठा होंगे।
दिल्ली की फतेहपुरी मस्जिद के शाही इमाम मुफ्ती मुकर्रम अहमद ने PTI-भाष से कहा, "मैं ऐलान करता हूं कि दिल्ली में कल पहला रोज़ा होगा।" उन्होंने कहा “दिल्ली में चांद नहीं दिखा है, लेकिन बिहार, कोलकाता, रांची और हरियाण समेत कई स्थानों पर चांद दिखा है।"
मुफ्ती मुकर्रम ने कहा कि मुस्लिम समुदाय के सदस्य कोरोना वायरस को रोकने के लिए लागू लॉकडाउन का पालन करें और नमाज़ और तरावीह (रमज़ान में रात में पढ़ी जाने वाली विशेष नमाज़) घरों में ही पढ़ें। रमज़ान मुसलमानों के लिए सबसे पाक महीना होता है। समुदाय के सदस्य पूरे महीने रोज़ा रखते हैं और सूरज निकलने से लेकर डूबने तक कुछ नहीं खाते पीते हैं। साथ में महीने भर इबादत करते हैं और अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं।
इलाके में रहने वाले 35 साल के मुईन ने कहा , “रमज़ान के महीने की रौनक इस बार पहले जैसी नहीं है। कोरोना वायरस की वजह से ज्यादातर दुकानें बंद हैं। हम सेहरी (सूरज निकलने से पहले जो कुछ खाते पीते है) के लिए दूध और खजला और फहनी लेने घर से निकला हूं, लेकिन ज्यादातर दुकानें बंद हैं और जहां यह मिल रही हैं, वहां महंगी है और दुकानों पर भीड़ है।"
इलाके में ही जींस बनाने के एक कारखाने में काम करने वाल अरसलान ने कहा “लॉकडाउन की वजह से कारखाना बंद है तो कमाई नहीं हो रही है। हर साल मस्जिदों में इफ्तार होता, लेकिन मस्जिद बंद हैं तो इफ्तार को लेकर भी फिक्रमंद हैं कि अब इफ्तार कहां करेंगे।"
रमज़ान मुसलमानों के लिए सबसे पाक महीना होता है। समुदाय के सदस्य पूरे महीने रोज़ा रखते हैं और सूरज निकलने से लेकर डूबने तक कुछ नहीं खाते पीते हैं। साथ में महीने भर इबादत करते हैं और अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं।
With inputs from भाषा