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दिल्ली दंगे ने किया सामाजिक ताने-बाने को तार-तार

'चंद मतलबी लोगों ने अपनी राजनीति की रोटियां सेंकने के लिए दिल्ली को दंगे की आग में झोंक दिया और दंगाइयों ने देश की राजधानी के सामाजिक ताने-बाने को तार-तार कर दिया।'

Reported by: IANS
Published on: March 03, 2020 14:16 IST
दिल्ली दंगे ने किया सामाजिक ताने-बाने को तार-तार- India TV Hindi
दिल्ली दंगे ने किया सामाजिक ताने-बाने को तार-तार

नई दिल्ली: 'चंद मतलबी लोगों ने अपनी राजनीति की रोटियां सेंकने के लिए दिल्ली को दंगे की आग में झोंक दिया और दंगाइयों ने देश की राजधानी के सामाजिक ताने-बाने को तार-तार कर दिया।' उत्तर-पूर्वी दिल्ली के यमुना विहार निवासी बुजुर्ग रमेशचंदर गुप्ता यह कहते हुए अत्यंत भावुक हो उठते हैं। उन्होंने कहा कि यह समझ में नहीं आता कि दंगाइयों के बहकावे में आकर कैसे लोगों ने अपने आपसी भाईचारे के रिश्तों की बलि चढ़ा दी और एक-दूसरे की जान लेने को अमादा हो गए।

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जिंदगी के सात दशक पार कर चुके रमेशचंदर गुप्ता को दिल्ली में 1984 और 1992 के दंगे भी पूरी तरह याद हैं, लेकिन हालिया दंगा उनकी नजर में ज्यादा भयानक था, क्योंकि इसमें दो समुदायों के बीच टकराव हुआ और यह सब अचानक नहीं हुआ, बल्कि इसकी साजिश पहले से बुनी जा रही थी, प्रशासन इसे भांप नहीं पाया।

गुप्ता ने कहा, "मैं हैरान इस बात से हूं कि एक ही पार्क में परिवार के साथ घूमने और समय बिताने वाले दोनों समुदाय के लोग जो काफी अरसे से एक दूसरे को जानते थे, इस घटना के बाद वे अब कैसे-कैसे एक-दूसरे से आंख मिला पाएंगे।"

नकाबपोश दंगाइयों को इलाके में तांडव मचाते देख चुकी एक बुजुर्ग महिला कहती है कि उस मंजर को याद करके रूह कांप उठता है। वह कहती है कि काश! लोग एकजुट होकर उन दंगाइयों का विरोध करते तो वे अपने मनसूबे में कामयाब नहीं होते।

एक सेवानिवृत्त अध्यापक ने बताया कि दिल्ली में अमन का माहौल बनाए रखने के लिए दलगत राजनीति से ऊपर उठकर जिन्हें काम करना चाहिए वे देश की संसदीय मर्यादा को तार-तार कर रहे हैं।

गौरतलब है कि सोमवार को जब संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण प्रारंभ हुआ तो सत्ता पक्ष और विपक्ष के सांसद आपस में भिड़ गए। सदन में उन्होंने धक्का-मुक्की कर संसद की गरिमा को तार-तार किया।

उत्तर-पूर्वी दिल्ली के यमुना विहार, भजनपुरा, शिव विहार, जाफराबाद, मौजपुर, चांदबाग समेत कई इलाकों में दो समुदायों के बीच टकराव के कारण हुई हिंसा में 40 से अधिक लोगों की जानें गईं और 200 से अधिक जख्मी हो गए।

नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन को लेकर दो समुदायों के बीच टकराव के कारण दिल्ली में हिंसा की घटनाएं हुईं, हालांकि पुलिस मामले की जांच में जुटी है। बताया जाता है कि मामले में तकरीबन 250 प्राथमिकियां दर्ज की गई और सैकड़ों लोगों को हिरासत में लिया गया है।

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