Mundka Fire Case: दिल्ली के मुंडका में हुए भीषण अग्निकांड में एक और जानकारी सामने आई है। यहां अग्निकांड से पहले इमारत की दूसरी मंजिल पर एक कार्यक्रम चल रहा था, जिसमें बड़ी संख्या में लोग शिरकत कर रहे थे। तभी भीषण आग लग गई और लोग इसमें फंस गए। दिल्ली में हुए अग्निकांड के संबंध में दर्ज प्राथमिकी में यह बात कही गई है। वहीं दमकल अधिकारियों ने बताया कि इमारत की दूसरी मंजिल से सबसे ज्यादा शव बरामद किए गए। मामले के संबंध में दर्ज प्राथमिकी के अनुसार, शुक्रवार को शाम करीब चार बजे सभी कर्मचारियों के लिए एक प्रेरक कार्यक्रम आयोजित किया गया था और उन्हें इमारत की दूसरी मंजिल पर इकट्ठा किया गया था।' प्राथमिकी में कहा गया है कि पुलिस को शाम 4.45 बजे आग लगने और 100 से 150 लोगों के अंदर फंसे होने की सूचना मिली।
प्राथमिकी के मुताबिक, पुलिस मौके पर पहुंची तो पता चला कि मुंडका गांव में मुख्य रोहतक मार्ग पर स्तंभ संख्या 544 के सामने परिसर संख्या 193 में आग लगी है और कुछ लोग दूसरी मंजिल की खिलड़ियों के शीशे तोड़कर इमारत से कूदे। इसमें कहा गया है कि इमारत में एक तहखाना और चार मंजिलें हैं।
चौथी मंजिल रिहायशी है। दमकल की गाड़ियां मौके पर पहुंचीं और आग पर काबू पाना शुरू किया। पूछताछ के दौरान पता चला कि इमारत का मालिक मनीष लाकड़ा है, जो इमारत की चौथी मंजिल पर रहता है। पुलिस उपायुक्त समीर शर्मा ने बताया कि प्राथमिकी भारतीय दंड संहिता की धारा 304,308, 120 और 34 के तहत दर्ज की गई है, जिसमें सीसीटीवी कैमरों से जुड़ा काम करने वाली कंपनी के मालिकों को नामज़द किया गया है, जिन्होंने इमारत की तीन मंजिलों को किराए पर लिया हुआ था।
गौरतलब है कि राजधानी दिल्ली के मुंडका मेट्रो स्टेशन के पास शुक्रवार को एक चार मंजिला व्यावसायिक इमारत में भीषण आग लग गई थी। आग की चपेट में आकर 27 लोगों की मौत गई आर कई लोग घायल हो गए थे।
बता दें कि मुंडका अग्निकांड को लेकर दिल्ली सरकार के सूत्रों से मिली जानकारी में बेहद चौंकाने वाले खुलासे सामने आ चुके हैं। जिस इमारत में भीषण आग लगी वहां किसी भी तरह की कमर्शियल गतिविधि की इजाजत नहीं थी फिर भी MCD ने ही इसे लाइसेन्स दिया था। हैरान की बात ये है कि अभी तक ये बिल्डिंग कागजों में सील है।
दिल्ली सरकार के सूत्रों ने बताया कि 2019 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई मोनिटरिंग कमिटी ने इस बिल्डिंग को सील करने का आदेश दिया और पेनेल्टी लगाई थी। फिर MCD ने पेनेल्टी लेकर मोनिटरिंग कमिटी को जमा कराई लेकिन मोनिटरिंग कमिटी ने इमारत को डीसील करने का कोई आदेश नहीं दिया। लेकिन यहां व्यापारिक गतिविधि चलती रही। इमारत के लिए अग्निशमन विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) भी नहीं था।