Highlights
- नमाज़ अदा करने पर रोक लगाने के खिलाफ याचिका
- याचिका पर निर्देश लेने के लिए और समय देने का आग्रह
- 'साकेत अदालत के समक्ष लंबित मामला दूसरे मस्जिद से संबंधित'
Mughal Mosque: केंद्र सरकार ने सोमवार को दिल्ली हाई कोर्ट को बताया कि दक्षिण दिल्ली के महरौली क्षेत्र में स्थित मुगल मस्जिद एक 'संरक्षित स्मारक' है और वहां नमाज़ अदा करने पर रोक लगाने के खिलाफ दायर याचिका पर अपना रुख बताने के लिए समय मांगा। केंद्र ने न्यायमूर्ति मनोज कुमार ओहरी से उस याचिका पर निर्देश लेने के लिए और समय देने का आग्रह किया जो कुतुब परिसर के अंदर लेकिन कुतुब अहाते के बाहर स्थित मस्जिद से संबंधित है।
'मस्जिद से संबंधित एक मामला साकेत की निचली अदालत में भी चल रहा'
केंद्र की ओर से पेश अधिवक्ता कीर्तिमान सिंह ने कहा कि मस्जिद से संबंधित एक मामला साकेत की निचली अदालत में भी चल रहा है। दिल्ली वक्फ बोर्ड के वकील वजीह शफीक ने इस संबंध में दलील देते हुए कहा कि साकेत अदालत के समक्ष लंबित मामला दूसरे मस्जिद से संबंधित है। दिल्ली वक्फ बोर्ड की प्रबंध समिति की ओर से पेश अधिवक्ता एम सूफियान सिद्दीकी ने अदालत से मामले की जल्द से जल्द सुनवाई करने का आग्रह करते हुए कहा कि मस्जिद में मई से नमाज़ नहीं हो रही है।
प्रतिवादियों को याचिका पर अपना पक्ष रखने के लिए और समय मिला
अदालत ने मामले को आगे की सुनवाई के लिए 12 सितंबर के लिए सूचीबद्ध किया और प्रतिवादियों को याचिका पर अपना पक्ष रखने के लिए और समय दे दिया। अदालत ने 14 जुलाई को केंद्र और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को याचिका पर अपना पक्ष रखने के लिए समय दे दिया था। याचिकाकर्ता ने तब अदालत को बताया था कि यह मस्जिद अधिसूचित वक्फ संपत्ति है, जिसमें एक इमाम और मोअज़्ज़ीन नियुक्त हैं, और विवादास्पद 'कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद' नहीं है।
कुतुब मीनार परिसर में हिंदू व जैन देवताओं को फिर से स्थापित करने का आग्रह
साकेत अदालत के समक्ष लंबित एक याचिका में कुतुब मीनार परिसर में हिंदू और जैन देवताओं को फिर से स्थापित करने का आग्रह इस आधार पर किया गया है कि 27 मंदिरों को मोहम्मद गोरी की सेना में सेनापति कुतुबदीन एबक ने आंशिक रूप से तोड़ा था और इस सामग्री का इस्तेमाल कर कुव्वत-उल -इस्लाम मस्जिद बनाई गई थी।
याचिकाकर्ता के वकील का दवा, मस्जिद में नियमित रूप से नमाज़ अदा की जाती थी
याचिकाकर्ता के वकील ने दावा किया था कि मस्जिद में नियमित रूप से नमाज़ अदा की जाती थी और इसे इबादत के लिए कभी बंद नहीं किया गया था, लेकिन एएसआई के अधिकारियों ने गैर-कानूनी और मनमाना आदेश देकर इसे 13 मई 2022 को नमाज़ अदा करने के लिए पूरी तरह से बंद कर दिया और इस बाबत कोई नोटिस भी नहीं दिया।