
दिल्लीवालों के जेब पर अतिरिक्त बोझ बढ़ने वाला है, अब दिल्ली नगर निगम घर से कूड़ा उठाने के लिए लोगों से पैसे लेने जा रही है। दिल्ली नगर निगम 7 साल बाद ठोस कचरा प्रबंधन-2018 उपनियम के तहत यूजर चार्ज वसूलने जा रही है, जिसके बाद राष्ट्रीय राजधानी के लोगो को अब नगर निगम को हर माह 50 से 200 रुपये का यूजर चार्ज देना होगा। इससे देश की राजधानी के संपत्ति मालिकों की जेब पर सीधा असर पड़ेगा। वहीं, इस चार्ज को लेकर दिल्ली की राजनीति भी गर्म हो गई है।
रिहायशी सपंत्ति मालिकों को देना होगा इतना चार्ज
बता दें यह चार्ज संपत्तिकर के साथ ही वसूला जाएगा, यह उन मालिकों की टेंशन बढ़ा सकता है जो पहले से ही नगर निगम को संपत्ति कर दे रहे हैं। इसे ऐसे समझे कि दिल्ली के संपत्ति मालिक जब भी संपत्तिकर जमा करेंगे तो उन्हें कूड़ा उठान का यूजर चार्ज भी जमा करना होगा। यह चार्ज रिहायशी इलाकों में बढ़कर वसूला जा सकता है। जानकारी के मुताबिक, रिहायशी सपंत्ति मालिकों को संपत्तिकर के साथ यह चार्ज न्यूनतम 600 रुपये और अधिकतम 2400 रुपये देना पड़ सकता है।
वहीं, कॉमर्शियल प्रॉपर्टी में यह चार्ज कम से कम 6000 रुपये और अधिकतम यानी ज्यादा से ज्यादा 60,000 रुपये वार्षिक देना पड़ सकता है। इस चार्ज से नगर निगम को सालाना 150 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व मिलने की उम्मीद है।
किस संपत्ति पर कितना लगेगा यूजर चार्ज?
नियम की मुताबिक, दिल्ली वालों को 50 वर्ग मीटर तक के रिहायशी संपत्ति पर 50 रुपये यूजर चार्ज, 50 से 200 वर्ग मीटर तक के लिए 100 रुपये चार्ज, 200 वर्ग मीटर से अधिक संपत्ति पर 200 रुपये चार्ज और स्ट्रीट वेंडरों से 100 रुपये यूजर चार्ज वसूला जाएगा।
कॉमर्शियल प्रॉपर्टी के लिए कितना चार्ज?
वहीं, दुकान और खाने-पीने की जगह के लिए 500 रुपये, गेस्ट हाउस और धर्मशाला के लिए 2000 रुपये, हॉस्टल और 50 सीट वाले रेस्टोरेंट के लिए 2000 रुपये, 50 से अधिक सीट वाले रेस्टोरेंट के लिए 3000, होटल के लिए 2000, 3 स्टार होटल केलिए 3000, 3 स्टार से अधिक वाले होटल के लिए 5000, बैंक और कोचिंग सेंटर के लिए 2000 रुपये, क्लीनिक व लैब (50 बेड तक) के लिए 2000, 50 बेड से अधिक क्लीनिक, हॉस्पिटल व लैब के लिए 4000 रुपये, लघु व कुटीर उद्योग (केवल जोखिमपूर्ण कचरा) के लिए 3000 रुपये और विवाह पार्टी हॉल के लिए 5000 रुपये यूजर चार्ज देना होगा।
आप ने लिखा लेटर
इस यूजर चार्ज को लेकर आप यानी आम आदमी पार्टी ने सरकार को घेरा है और इस चार्ज को मनमाना रवैया बताया है। महापौर महेश कुमार ने इसे लेकर निगमायुक्त को एक लेटर लिखा, जिसमें उन्होंने यूजर चार्ज को बिना सदन की मंजूरी के लागू करने की बात कह गलत बताया है।
जानकारी दे दें कि केंद्र सरकार ने साल 2017 में ठोस कचरा प्रबंधन उपनियमों को अधिसूचित किया था, इसी आधार पर दिल्ली की तत्कालीन सरकार ने 15 जनवरी 2018 को राजधानी में इसे लागू किए थे, लेकिन बीजेपी शासित पूर्वकालिक तीनों नगर निगम ने इसका पूरजोर विरोध किया था।
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