नई दिल्ली: दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बुधवार को कहा कि नई आबकारी नीति के तहत शराब की दुकानों की बोली लगाने से राज्य सरकार को 10,000 करोड़ रुपये मिलेंगे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को चालू वित्त वर्ष में 23 प्रतिशत कम राजस्व मिला है और इस नयी नीति का उद्देश्य कमाई और उपभोक्ता अनुभव में सुधार लाना है। वहीं, अधिकारियों ने बताया कि 32 क्षेत्रों से 850 शराब की दुकानों की बोलियों के लिए सरकार ने 7,039 करोड़ रुपये के आधार आरक्षित लाइसेंस शुल्क की तुलना में लगभग 8,911 करोड़ रुपये कमाए हैं।
उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी (AAP) के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार ने 30 सितंबर के बाद निजी संचालकों द्वारा चलाए जा रहे लगभग 260 शराब की दुकानों के लाइसेंस का नवीनीकरण नहीं करने का निर्णय लिया है। हालांकि, सरकारी एजेंसियों द्वारा चलाई जा रही शेष शराब की दुकानों की खुदरा बिक्री 16 नवंबर तक जारी रहेगी। अधिकारियों के मुताबिक़, निजी कंपनियों को खुली बोलियों के जरिये आवंटित शराब की दुकानें 17 नवंबर से काम करना शुरू कर देंगी।
सिसोदिया ने कहा, ‘‘नई आबकारी नीति के तहत शराब की दुकानों की बोली लगाने से हमें 10,000 करोड़ रुपये का राजस्व मिलेगा। बोली बहुत निष्पक्ष थी। हमें शहर के 32 क्षेत्रों के लिए करीब 225 बोलियां मिली हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह राशि 2019-20 के मुकाबले लगभग 3,500 करोड़ रुपये अधिक होगी। वित्त वर्ष 2019-20 में सरकार ने शराब की दुकानों की बोली से 6,300 करोड़ रुपये का राजस्व हासिल किया था।’’
उन्होंने कहा कि आबकारी नीति में सुधार के चलते अतिरिक्त राजस्व मिलेगा, क्योंकि पहले इस तरह के राजस्व की चोरी हो जाती थी। उप मुख्यमंत्री ने कहा कि आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार ने पिछले साल कोविड-19 महामारी के प्रकोप के चलते 41 प्रतिशत कम राजस्व हासिल किया।
उन्होंने कहा, ‘‘कोरोना वायरस के चलते लगाए गए लॉकडाउन के कारण आर्थिक गतिविधियां कम हैं, इसलिए कर संग्रह भी कम है। मूल्यवर्धित कर (वैट) के तहत सरकार ने चालू वित्त वर्ष में 25 प्रतिशत कम राजस्व हासिल किया, जबकि उत्पाद शुल्क संग्रह 30 प्रतिशत कम रहा।’’
सिसोदिया ने कहा कि चालू वित्त वर्ष के दौरान स्टाम्प शुल्क और मोटर वाहन करों में क्रमश: 16 प्रतिशत और 19 प्रतिशत की कमी आई है।