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"दिल्ली में मंदिरों पर बुल्डोजर चलाने के लिए उत्साहित क्यों?" सिसोदिया ने LG पर लगाए आरोप

सिसोदिया ने कहा कि क्या एलजी के लिए सरकारी स्कूल के शिक्षकों को ट्रेनिंग के लिए फिनलैंड भेजने से ज्यादा जरूरी मंदिरों को तोड़ना है?

Edited By: Malaika Imam @MalaikaImam1
Published : Feb 12, 2023 23:13 IST, Updated : Feb 12, 2023 23:13 IST
मनीष सिसोदिया
Image Source : FILE PHOTO मनीष सिसोदिया

दिल्ली सरकार ने रविवार को दिल्ली के उपराज्यपाल पर असंवैधानिक तरीके से कार्रवाई करने का आरोप लगाया। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि एलजी के कई आरोप पूरी तरह निराधार और ओछी राजनीति से प्रेरित हैं। एलजी ने दिल्ली सरकार की हर एक फाइल रोक रखी है, दूसरी तरफ वह सरकार पर पूरी दिल्ली में मंदिरों को तोड़े जाने से जुड़ी फाइलों में देरी करने का आरोप लगा रहे हैं। 

उपमुख्यमंत्री ने कहा कि एलजी का यह व्यवहार उनकी प्राथमिकताओं पर संदेह पैदा करता है। एलजी दिल्ली में मंदिरों पर बुल्डोजर चलाने के लिए इतना उत्साहित क्यों है? जबकि धार्मिक ढांचों में कोई संशोधन करने का फैसाल भी जल्दबाजी में नहीं लिया जा सकता, उन्हें गिराने की अनुमति देना तो बहुत दूर की बात है। सिसोदिया ने कहा कि क्या एलजी के लिए सरकारी स्कूल के शिक्षकों को ट्रेनिंग के लिए फिनलैंड भेजने से ज्यादा जरूरी मंदिरों को तोड़ना है?

'पूरी दिल्ली में धार्मिक ढांचों को गिराने का प्रयास है'

उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि एलजी की ओर से पूरी दिल्ली में धार्मिक ढांचों को गिराने का प्रयास है। सिसोदिया के मुताबिक, एलजी ने एक बयान जारी कर कहा है कि उन्होंने धार्मिक ढांचे को गिराने से संबंधित फाइलों को मंगवाया है। उन्होंने कहा, "एलजी ने दावा किया है कि उक्त फाइलें मेरे विभाग की ओर से रोकी गई हैं। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि एलजी इतने संवेदनशील मुद्दे पर राजनीति कर रहे हैं।" बता दें कि यह विचाराधीन मामला दिल्ली में दशकों पुराने कई बड़े मंदिरों सहित कई धार्मिक संरचनाओं को ध्वस्त करने की मंजूरी देने से संबंधित है। 

'प्रधानाध्यापकों की नियुक्ति की मंजूरी पर रोक लगा दी'

उपमुख्यमंत्री ने कहा कि क्या एलजी के लिए दिल्ली के मंदिरों पर बुलडोजर चलाना सरकारी स्कूल के शिक्षकों को ट्रेनिंग के लिए फिनलैंड भेजने से ज्यादा अहम है। शिक्षकों को ट्रेनिंग पर भेजने की फाइल उनके पास महीनों से लंबित पड़ी है और उनके कार्यालय के चक्कर काट रही है। उपराज्यपाल ने सरकारी स्कूलों में 244 पदों पर प्रधानाध्यापकों की नियुक्ति की मंजूरी पर रोक लगा दी है और विभाग से कहा है कि वह असेसमेंट स्टडी कराकर यह जांच करें कि स्कूलों में इन प्रधानाध्यापकों की आवश्यकता है या नहीं। ये पद पिछले पांच साल से खाली पड़े थे।

'एलजी होने के बावजूद उनके पास ओछी राजनीति करने का समय'

सिसोदिया ने कहा, "यह कैसा मजाक है। यह चौंकाने वाली बात है कि राष्ट्रीय राजधानी के एलजी होने के बावजूद उनके पास ओछी राजनीति करने का समय है, लेकिन सार्वजनिक हित की परियोजनाओं को मंजूरी देने का नहीं।" उन्होंने आगे कहा, "यह कोई अकेला मामला नहीं है। 2015-16 में दिल्ली सरकार ने शिक्षा अधिनियम में संशोधन को मंजूरी के लिए गृह मंत्रालय को भेजा था। अगर संशोधन को मंजूरी दे दी गई होती, तो हम निजी स्कूलों को विनियमित करने में सक्षम होते, लेकिन गृह मंत्रालय 7 साल से फाइल को दबाए बैठा है। एलजी खुद को दिल्ली का लोकल गार्जियन कहते हैं। इसके बाद भी वो गृह मंत्रालय से उस फाइल को मंजूरी क्यों नहीं दिलाते। क्या इसलिए कि वे बच्चों को अच्छी शिक्षा देने से ज्यादा जरूरी धार्मिक ढांचे को गिराना मानते हैं।"

उपमुख्यमंत्री का कहना है कि एक अन्य मामले में सरकार ने नीतीश कटारा मामले को देखने के लिए एक वकील नियुक्त किया था, लेकिन एलजी ने उस फाइल को भी रोक रखा है। यह समझ से परे है कि एलजी को इतनी बुनियादी चीजों से भी समस्या क्यों है। वो इन फाइलों को क्लियर क्यों नहीं कर रहे हैं।

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