नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने रविवार को कहा कि मुहर्रम के सिलसिले में शिया समुदाय के मौलवियों के साथ कई दौर की चर्चा हुई है। उन्होंने कहा कि चर्चा के बाद यह तय किया गया कि कोरोना प्रोटोकॉल के मद्देनजर इमामबाड़ों में 'मजलिस' के लिए लोगों को सीमित संख्या में उपस्थित होने की अनुमति होगी। हालांकि, इसके साथ ही मुहर्रम कार्यक्रमों के आयोजनों के लिए राष्ट्रीय राजधानी में लाउडस्पीकर बजाने या कोई भी जुलूस निकालने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
पुलिस ने दी दिशा-निर्देशों की जानकारी
दिल्ली पुलिस अधिकारियों और उलेमाओं, मौलानाओं और समुदाय के अन्य सम्मानित सदस्यों के बीच मुहर्रम को लेकर दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा जारी दिशा-निर्देशों पर चर्चा करने के लिए बातचीत हुई। पुलिस ने उपस्थित लोगों को मुहर्रम के लिए दिशा-निर्देशों और क्या करें और क्या न करें के बारे में जानकारी दी। बता दें कि इमामबाड़ा एक ऐसी जगह या एक इमारत है, जहां लोग कर्बला में शहीद हुए इमाम हुसैन और अन्य शहीदों के बलिदान पर शोक व्यक्त करने के लिए 'मजलिस' या सभा के लिए एकत्र होते हैं।
‘जुलूस और लाउडस्पीकर की इजाजत नहीं’
दक्षिणपूर्व क्षेत्र के डीसीपी आर.पी.मीणा ने कहा, ‘हमने मुहर्रम के संबंध में उलेमाओं, मौलवियों और अन्य सम्मानीय लोगों के साथ बैठक की और उन्हें जानकारी दी कि डीडीएमए के दिशानिर्देशों के अनुसार किसी भी जुलूस और लाउडस्पीकर की अनुमति नहीं दी जाएगी। हालांकि, इमामबाड़ों में सामजिक दूरी बरतते हुए मास्क और सैनिटाइजर के इस्तेमाल के साथ लोगों की सीमित संख्या के साथ मजलिस किया जा सकता है।’
यूं हो सकेगा मजलिस का आयोजन
उलेमाओं को जामिया नगर, लाजपत नगर, निजामुद्दीन, बदरपुर, अमर कालोनी, शाहीन बाग, कालिंदी कुंज और न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी जैसे पुलिस स्टेशनों में हुए वर्चुअल बैठक में शामिल होने के लिए कहा गया था। डीसीपी ने विचारों का आदान-प्रदान किया। अधिकारी ने कहा कि लोग अपने घरों पर भी उचित सावधानी बरतने और सामाजिक दूरी बनाए रखने के साथ मजलिस का आयोजन कर सकते हैं और मुहर्रम मना सकते हैं। (IANS)