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Loan Scam: हवाला के जरिए चीन भेजे गए करोड़ों रुपये; दिल्ली पुलिस ने 22 लोगों को किया गिरफ्तार

Loan Scam: पुलिस अधिकारी ने कहा, "एप्लिकेशन लोन देने वाले ऐप्स की आड़ में डेवलेप किए गए थे। ये एप्लिकेशन प्रकृति में दुर्भावनापूर्ण थे और यूजर से सभी अनुमतियां मांगते थे। एप्लिकेशन गूगल और वेबसाइटों पर होस्ट किए गए थे।

Edited By: Shailendra Tiwari @@Shailendra_jour
Published : Aug 21, 2022 10:34 IST, Updated : Aug 21, 2022 10:41 IST
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Image Source : REPRESENTATIONAL IMAGE Representational Image

Highlights

  • मॉफ्र्ड तस्वीरों का उपयोग कर वसूल रहे थे रुपये
  • निजी फर्मों को भी बेचा गया था यूजर का पर्सनल डेटा
  • रोजाना 1 करोड़ से ज्यादा का हो रहा था लेन-देन

Loan Scam: दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल की इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस (IFSO) यूनिट ने चीनी कनेक्शन वाले तुरंत लोन एप्लीकेशन्स के विभिन्न मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया है, और पिछले दो महीनों में 22 लोगों को हवाला रैकेट के जरिए चीन को 500 करोड़ रुपये भेजने या क्रिप्टो-करेंसी में निवेश करने के आरोप में गिरफ्तार किया है। एक अधिकारी ने इसकी जानकारी दी। गिरफ्तार किए गए व्यक्ति चीनी नागरिकों के इशारे पर काम कर रहे थे।

लोन चुकाने के बाद भी पैसे की उगाही करते थे

पुलिस उपायुक्त केपीएस मल्होत्रा ने कहा कि दिल्ली पुलिस को सैकड़ों शिकायतें मिली थीं कि इन्सटेंट लोन एप्लीकेशन हाई रेट पर लोन दे रहे हैं और लोन के भुगतान के बाद भी, वे नग्न तस्वीरों का उपयोग करके पैसे की उगाही कर रहे हैं। मल्होत्रा ने कहा, "IFSO ने इसका संज्ञान लिया और शिकायतों का एनालिसिस करना शुरू कर दिया, जिसके दौरान यह पाया गया कि 100 से अधिक ऐसे ऐप लोन और जबरन वसूली रैकेट में शामिल हैं।"

चीन को भेजा जा रहा था पैसा

पुलिस ने व्यापक टेक्निकल एनालिसिस किया जिसके बाद यह पता चला कि सभी ऐप यूजर से 'दुर्भावनापूर्ण अनुमति' मांग रहे थे। एक्सेस मिलने के बाद, उपयोगकर्ता के संपर्क, चैट, संदेश और फोटो चीन और हांगकांग स्थित सर्वर पर अपलोड किए जा रहे थे। करेंसी रूट के एनालिसिस से यह भी पता चला कि हवाला और क्रिप्टो-करेंसी के माध्यम से पैसा चीन को भेजा जा रहा था।

निजी फर्मों को भी बेचा गया था यूजर का डेटा

पुलिस अधिकारी ने कहा, "एप्लिकेशन लोन देने वाले ऐप्स की आड़ में डेवलेप किए गए थे। ये एप्लिकेशन प्रकृति में दुर्भावनापूर्ण थे और यूजर से सभी अनुमतियां मांगते थे। एप्लिकेशन गूगल और वेबसाइटों पर होस्ट किए गए थे। लोन की जरूरत वाले यूजर्स ने सभी अनुमति देकर एप्लिकेशन डाउनलोड किए। जल्द ही इसके बाद, एप्लिकेशन ने चीन और अन्य हिस्सों में होस्ट किए गए सर्वर पर कॉन्टैक्ट लिस्ट, चैट, यूजर की फोटो को अपलोड करना शुरू कर दिया।" यह डेटा विभिन्न निजी फर्मों को भी बेचा गया था।

मॉफ्र्ड तस्वीरों का उपयोग कर वसूल रहे थे रुपये

ग्राहकों को अलग-अलग नंबरों से कॉल आ रहे थे (फर्जी आईडी पर खरीदे गए) उन्हें मॉफ्र्ड तस्वीरों का उपयोग करके धमकी देकर ज्यादा से ज्यादा भुगतान करने के लिए मजबूर कर रहे थे। डर और बदनामी के चलते यूजर्स उन्हें फर्जी आईडी के खिलाफ खोले गए अलग-अलग बैंक खातों में पैसे देने लगे। एकत्र किए गए धन को स्पेसिफिक बैंक खातों में भेज दिया गया और फिर हवाला के माध्यम से या क्रिप्टोकरेंसी खरीदने के बाद चीन भेज दिया गया।

रोजाना 1 करोड़ रुपये से अधिक का लेन-देन हो रहा था

अधिकारी ने दावा किया, "जिन लोगों को 5,000 रुपये से 10,000 रुपये तक के छोटे लोन की सख्त जरूरत थी, उन्हें लाखों में भी भुगतान करने के लिए मजबूर किया जा रहा है।" फाइनेंशियल इन्वेस्टिगेशन से पता चला कि राशि प्राप्त करने के लिए कई खातों का उपयोग किया जा रहा है। प्रत्येक खाते में प्रतिदिन 1 करोड़ रुपये से अधिक का लेन-देन हो रहा था। कुछ चीनी नागरिकों की पहचान की पुष्टि की गई है और उनका पता लगाने और उन्हें गिरफ्तार करने के प्रयास किए जा रहे हैं।

जबरन वसूली रैकेट में 100 से ज्यादा ऐप शामिल

पुलिस ने कहा, "फाइनेंशियल ट्रेल और अन्य टेक्निकल एनालिसिस के एनालिसिस से, यह भी पता चला कि चीनी नागरिक इन लोन एप्लीकेशन घोटालों में सक्रिय रूप से शामिल हैं। इसके अलावा, पुलिस कार्रवाई के बाद, वे अपने वसूली कॉल सेंटर पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश में ट्रांसफर कर रहे हैं।" दिल्ली पुलिस ने उन मोबाइल ऐप्स की पहचान की है जिनके जरिए हवाला के जरिए या क्रिप्टो-करेंसी खरीदकर 500 करोड़ रुपये चीन भेजे गए थे। मल्होत्रा ने कहा कि मोबाइल लोन ऐप के जरिए इतने बड़े जबरन वसूली रैकेट में 100 से ज्यादा ऐप शामिल हैं। ये वो ऐप हैं जो छोटे लोन देते थे। उनके वास्तविक मालिक चीनी नागरिक बताए जाते हैं।

मल्होत्रा ने कहा, "लिंडा, अकीरा, जोया, कोबे ब्रायंट और लुओ रोंग उर्फ शियासी, इस मामले में शामिल चीनी नागरिक हैं, जो कुछ ऐप्स के मालिक थे। इस संबंध में तीन अलग-अलग मामले दर्ज किए गए थे।"

ये हैं उन ऐप के नाम

पुलिस ने जिन ऐप्स की पहचान की है उनके नाम हैं- राइज कैश ऐप, पीपी मनी ऐप, रुपए मास्टर ऐप, कैश रे ऐप, मोबीपॉकेट ऐप, पापा मनी ऐप, इन्फिनिटी कैश ऐप, क्रेडिट मैंगो ऐप, क्रेडिट मार्वल ऐप, सीबी लोन ऐप, कैश एडवांस ऐप, एचडीबी लोन ऐप, कैश ट्री ऐप, रॉ लोन ऐप, अंडर प्रोसेस, मिनट कैश ऐप, कैश लाइट ऐप, कैश फिश ऐप, एचडी क्रेडिट ऐप, रुप्स लैंड ऐप, कैश रूम ऐप, रुपया लोन ऐप और वेल क्रेडिट ऐप। लखनऊ स्थित 'एक्सटॉर्शन' कॉल सेंटर से जुड़े चीनी इंस्टेंट लोन ऐप की पहचान कैश पोर्ट, रुपी वे, लोन क्यूब, वाह रुपया, स्मार्ट वॉलेट, जायंट वॉलेट, हाय रुपया, स्विफ्ट रुपया, वॉलेटविन, फिशक्लब, यसकैश, इम लोन, ग्रोट्री, मैजिक बैलेंस, योकैश, फॉर्च्यून ट्री, सुपरकॉइन, रेड मैजिक के रूप में की गई है।

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