दिल्ली में एक बार फिर से केजरीवाल सरकार और उपराज्यपाल दफ्तर आमने-सामने हैं। दिल्ली सरकार ने आरोप लगाया है कि एलजी वीके सक्सेना ने सोलर पॉलिसी रोक दी है। आरोप है कि एलपी फाइल को अपने पास रोककर बैठे हैं। सीएम अरविंद केजरीवाल ने कुछ दिन पहले प्रेस कांफ्रेंस कर सोलर पॉलिसी का ऐलान किया था। इस पॉलिसी से दिल्ली वालों के बिजली के बिल जीरो होने का दावा किया गया था।
एलजी कार्यालय ने आरोपों पर जवाब दिया
इन आरोपों पर एलजी कार्यालय ने केजरीवाल सरकार पर लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाया था। एलजी कार्यालय के सूत्रों ने कहा कि केजरीवाल सरकार आदतन झूठ बोल कर लोगों को गुमराह कर रही है। एलजी ने सोलर पॉलिसी नहीं रोकी है। पालिसी में ऐसा कोई प्रावधान ही नहीं है, जिससे लोगों के बिजली बिल जीरो हो जाते। उलटे पालिसी में एक "रेसको" प्रावधान है जिससे सिर्फ निजी बिजली कंपनियों को फ़ायदा होगा। एलजी ने इसी प्रावधान पर विवरण मांगा है।
एलजी ने मांगा है विवरण
दिल्ली के एलजी ने ये भी पूछा है कि क्या इस पॉलिसी में भारत सरकार की हज़ारों करोड़ की कैपिटल सब्सिडी से उपभोक्ताओं को लाभ पहुंचाने के लिये सामन्जस्य का प्रावधान है? जिसका जवाब सरकार की ओर से अभी तक नहीं आया है।
केजरीवाल ने किया था ये दावा
दिल्ली सौर नीति 2024 के तहत घर पर छत पर सौर पैनल स्थापित करने वाले लोगों को पीढ़ी-आधारित प्रोत्साहन मिलना था। केजरीवाल ने कहा था कि नीति के तहत 500 वर्ग मीटर क्षेत्रफल वाली सभी सरकारी इमारतों को अगले तीन वर्षों में अनिवार्य रूप से छत पर सौर पैनल लगाना होगा। पिछले महीने, केजरीवाल ने कहा था कि दिल्ली सरकार निवासियों को 200 यूनिट बिजली मुफ्त देती है और उन आवासीय उपभोक्ताओं को 50 प्रतिशत की सब्सिडी देती है जो प्रति माह 201 यूनिट से 400 यूनिट तक खपत करते हैं और 400 यूनिट प्रति माह से ऊपर की खपत वाले लोगों के लिए कोई सब्सिडी नहीं है। इस नीति को चुनकर अपनी छतों पर सौर पैनल स्थापित करने वाले सभी आवासीय उपभोक्ताओं का बिजली बिल शून्य होगा, चाहे वे कितनी भी बिजली का उपभोग करें।