Central Vista Project: दुनियाभर में मशहूर कश्मीर के पारंपरिक हस्तनिर्मित कालीन (Carpet) दिल्ली में निर्माणाधीन नए संसद भवन की शोभा बढ़ाएंगे। इन कालीनों को बडगाम जिले के दूर-दराज के बुनकर अब अंतिम रूप देने में लगे हैं। मध्य कश्मीर के बडगाम जिले स्थित खाग गांव के करीब 50 बुनकरों और कारीगरों के समूह पिछले एक साल से इन कालीनों को बुन रहे हैं। उन्हें यह जिम्मेदारी दिल्ली की एक कंपनी ने दी है। सरकार का कहना है कि संसद का शीतकालीन सत्र नई इमारत में होगा, जिसका निर्माण नरेंद्र मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना के तहत चल रहा है।
पिछले साल अक्टूबर में मिला था 12 कालीन का ऑर्डर
ताहिरी कार्पेट्स के कमर अली खान ने बताया, ‘‘हमें नए संसद भवन के लिए 12 कालीन का ऑर्डर पिछले साल अक्टूबर में मिला था।’’ खान का परिवार पिछले 32 साल से कालीन बुनाई और उनके निर्यात के काम में लगा है। उन्होंने कहा कि संसद के लिए कालीनों की बुनाई करने की जिम्मेदारी मिलना सम्मान और खुशी की बात है। उन्होंने कहा, ‘‘हाथ से बुने गए कालीन हमारी कला हैं और पूरी दुनिया में मशहूर हैं। लेकिन दुर्भाग्य से विभिन्न कारणों से इस काम में गिरावट आई। अब इस प्रोजेक्ट से हमें फिर से इस काम में तेजी आने की उम्मीद है।’’ उन्होंने बताया कि संसद भवन के लिए 11 गुणा आठ फुट के कालीन की बुनाई की जा रही है।
इस प्रोजेक्ट से जुड़े हैं 50 बुनकर
खान ने कहा, ‘‘ये कालीन गोल आकार में बिछाए जाएंगे। इसलिए प्रत्येक कालीन की चौड़ाई एक समान नहीं है लेकिन न्यूनतम चौड़ाई चार फीट है।’’ उन्होंने कहा कि कालीन खास है और पारंपरिक कश्मीरी ‘कानी’ शॉल की तीन डिजाइनों को भी इसमें शामिल किया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘50 बुनकर इस प्रोजेक्ट से जुड़े हैं जबकि इससे जुड़े 12 परिवार, कच्चा माल और डिजाइन मुहैया करा रहे हैं।’’ खान ने बताया कि प्रोजेक्ट का 90 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है और बाकी काम अगले 20 दिनों में पूरा हो जाएगा।
डिजाइन तैयार करने में लगा 3 महीने का वक्त
उन्होंने कहा, ‘‘डिजाइन तैयार करने में करीब तीन महीने का समय लगा और उसके बाद वास्तविक काम शुरू हुआ। हमें इस महीने के अंत तक काम पूरा होने की उम्मीद है। हम पहले ही नौ कालीन कंपनी को सौंप चुके हैं। कालीन का इस्तेमाल करने से पहले धुलाई और कुछ अंतिम काम किया जाता है।’’