दिल्ली: एक महिला ने एक पुरुष के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी कि उस पुरुष ने उसे 'गंदी औरत' बोलकर संबोधित किया है। इस मुकदमे को दिल्ली हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया। कोर्ट ने मुकदमें को रद्द करते हुए कहा कि किसी भी महिला का अपमान करने का अर्थ उसकी गरिमा को ठेस पहुंचाना नहीं हुआ।
हाईकोर्ट ने आगे कहा कि लिंग-विशिष्ट कानून विपरीत लिंग-विरोधी नहीं है। ये किसी विशेष लिंग के सामने आने वाले अद्विति मुद्दों को संबोधित करने के उद्देश्य से है।
लिंग विशिष्ट कानून पर हाईकोर्ट
हाईकोर्ट ने कहा कि, लिंग विशिष्ट कानून समाज के अंदर विशेष लिंगो द्वारा सामना की जाने वाली चुनौतियों और अलग प्रकार की चिंताओं का समाधान करने के लिए मौजूद है। हालांकि इसका मतलब यह नहीं है कि न्याय करते समय न्यायाधिश को लिंग संबंधी कारकों से प्रभावित होना चाहिए, जब तक कि कानून में विशेष लिंग के पक्ष में विशिष्ट धाराणाएं नहीं बनाई जाती हैं।
क्या था यह मामला?
अभियोजन पक्ष ने कहा कि शिकायत करने वाली महिला और पुरुष दोनों एक ही संगठन में काम करते थे और पुरुष शिकायतकर्ता महिला का सीनियर था।
महिला ने यह आरोप लगाया कि जब उसने उसे 1000 रुपये देने से मना कर दिया तो उसने उसके खिलाफ अभद्र भाषा का इस्तेमाल करते हुए उसे 'गंदी औरत' कहा।
हाईकोर्ट ने फैसले में क्या कहा?
IPC की धारा 509(किसी महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के लिए कोई कृत्य किया जाता है) के तहत ट्रायल कोर्ट ने आरोप तय किया था। उच्च न्यायालय ने ट्रायल कोर्ट के इस आदेश को रद्द करते हुए कहा कि, किसी भी महिला का अपमान करना या फिर उसके साथ वैसा शिष्ट व्यवहार ना करना जिसकी महिला को उम्मीद है, वो उस महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के अंतर्गत नहीं आता है।
(इनपुट: पीटीआई)
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