Friday, November 22, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. दिल्ली
  3. जब इंदिरा गांधी ने नाश्ते में मांगा था पपीता, ताज गोवा में शेफ के हाथ पैर फूले; जानें दिलचस्प किस्सा

जब इंदिरा गांधी ने नाश्ते में मांगा था पपीता, ताज गोवा में शेफ के हाथ पैर फूले; जानें दिलचस्प किस्सा

नवंबर 1983 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी 48 घंटे के ‘रिट्रीट’ के लिए 40 से अधिक देशों के प्रमुख नेताओं की मेजबानी कर रही थीं।होटल ताज 100 से अधिक व्यंजन परोसने के लिए तैयारी में जुटा था। इसी बीच सूचना आई कि इंदिरा गांधी हर दिन नाश्ते में पपीता परोसे जाने की इच्छुक हैं।

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published on: December 28, 2023 18:36 IST
indira gandhi- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO प्रियंका गांधी ने सुबह के नाश्ते में पपीता खाने की इच्छा जाहिर की थी।

नई दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सुबह के नाश्ते में पपीता परोसे जाने की इच्छा जतायी और गोवा के एक फाइव स्टार होटल के शेफ को ‘‘बेहतरीन पपीते’’ खरीदने के लिए पुलिस जीप में सवार होकर शहर की गलियों की खाक छाननी पड़ गई थी। एक नई किताब में यह दिलचस्प किस्सा सुनाया गया है। शेफ सतीश अरोड़ा ने अपनी पुस्तक ‘‘स्वीट्स एंड बिटर्स : टेल्स फ्रॉम ए शेफ्स लाइफ’’ में पुरानी यादों को ताजा करते हुए लिखा है कि वर्ष 1983 में इंदिरा गांधी गोवा में आयोजित राष्ट्रमंडल प्रमुखों की बैठक की अध्यक्षता करने पहुंचीं। उन्होंने सुबह के नाश्ते में पपीता खाने की इच्छा जाहिर की थी, जिसके बाद होटल ताज के लिए इस फल का इंतजाम करना एक चुनौती बन गया था।

हर दिन नाश्ते में पपीता चाहती थीं इंदिरा गांधी

अरोड़ा लिखते हैं कि उस समय उन्हें और उनकी टीम के लिए ‘‘विशिष्ट रूप से भारतीय, बेहद स्थानीय’’ फल की तलाश करना एक चुनौती जैसा बन गया था। यह नवंबर 1983 था और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी 48 घंटे के ‘रिट्रीट’ के लिए 40 से अधिक देशों के प्रमुख नेताओं की मेजबानी कर रही थीं। इस बैठक को गोवा में आयोजित करने का मकसद गोवा को विश्व पर्यटन मानचित्र पर लाना था। अरोड़ा के मुताबिक, कार्यक्रम के मद्देनजर सड़कें चौड़ी की गईं, पुल बनाए गए, स्ट्रीट लाइट दुरुस्त की गईं और हवाई अड्डे की मरम्मत की गई। इस पूरे कार्यक्रम के केंद्र में होटल ताज था, जो 100 से अधिक व्यंजन परोसने के लिए तैयारी में जुटा था। ये सब गहमागहमी चल ही रही थीं कि इसी बीच सूचना आई कि इंदिरा गांधी हर दिन नाश्ते में पपीता परोसे जाने की इच्छुक हैं।

किचन में था घबराहट का माहौल

अरोड़ा ने अपनी पुस्तक में कहा, ‘‘साल के उस समय गोवा में हमें प्राकृतिक रूप से पके पपीते कहां मिलेंगे? नवंबर में अच्छे पपीते की कमी को देखते हुए, मैंने मुंबई से कच्चे पपीते लाने की व्यवस्था की और उनके पकने की प्रक्रिया को तेज करने के लिए उन्हें कागज में लपेटा गया।’’ पुस्तक में कहा गया, किस्मत में तो कुछ और ही लिखा था। नाश्ते में पपीता परोसा जाना था और पहले ही दिन पाया गया कि पपीते पिलपिले हो गए थे क्योंकि जिस आदमी को पपीतों को कागज में लपेटने की जिम्मेदारी दी गई थी, उसने उन्हें कुछ ज्यादा ही समय तक उन्हें कागज में ही लिपटे छोड़ दिया। इसी बीच, कर्मचारियों को बताया गया कि इंदिरा गांधी और उनके खास मेहमान नाश्ते के लिए आने वाले हैं। किचन में ‘‘घबराहट’’ स्पष्ट दिखाई पड़ रही थी।

पुलिस जीप में सवार होकर पपीते ढूंढने निकले

शेफ कहते हैं,‘‘मैं हमारी प्रधानमंत्री को ज्यादा पका हुआ पपीता परोस ही नहीं सकता था। मुझे समझ ही नहीं आ रहा था कि क्या करूं।’’ उसके बाद जो हुआ, वह तो बस पूछिए ही मत। बढ़िया पपीतों की तलाश के लिए पुलिस जीप का इंतजाम किया गया। उस पुलिस जीप में शेफ अरोड़ा थे और साथ थे कुछ वर्दीधारी पुलिस वाले। शेफ ने पुस्तक में लिखा, ‘‘इसके बाद, पके हुए पपीते की तलाश के लिए मुझे नजदीकी बाजार में ले जाने के लिए एक पुलिस जीप की व्यवस्था की गई। मेरी किस्मत अच्छी थी और मैंने एक दर्जन पपीते ले लिए। उस समय, मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे कोई यौद्धा जंग जीत कर पुलिस जीप में लौट रहा हो और वह भी 12 पपीतों के साथ।’’

(इनपुट- भाषा)

यह भी पढ़ें-

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। News in Hindi के लिए क्लिक करें दिल्ली सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement