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भारत में पहली बार जिसका लिवर ट्रांसप्लांट किया गया था, 25 साल बाद वह खुद बन गया डॉक्टर

20 महीने के बच्चे के तौर पर संजय कंडास्वामी अपने लिवर ट्रांसप्लांट को लेकर सुर्खियों में आए थे और 'बेबी संजय' के नाम से मशहूर हो गए थे। उनकी हाल ही में सगाई हुई है और अगले साल मार्च में शादी है।

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published on: November 16, 2023 11:41 IST
DOCTOR- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO अपने लिवर ट्रांसप्लांट के बारे में पता चलने पर संजय ने भी डॉक्टर बनने का फैसला किया। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

नई दिल्ली: दिल्ली में साल 1998 में आज ही के दिन डॉक्टरों की एक टीम ने करीब 20 महीने के बच्चे संजय कंडास्वामी का लिवर ट्रांसप्लांट किया था और यह भारत में पहला सफल लिवर ट्रांसप्लांट था। वह 'बेबी संजय' 25 साल बाद बड़ा होकर 'डॉक्टर संजय' बन गया और अब शादी के बंधन में बंधने जा रहा है। अपोलो इंद्रप्रस्थ अस्पताल में हासिल की गई उपलब्धि की 25वीं वर्षगांठ के अवसर पर बुधवार को यहां एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में तमिलनाडु के मूल निवासी कंडास्वामी भी अपने माता-पिता के साथ शामिल हुए। 20 महीने के बच्चे के तौर पर कंडास्वामी अपने लिवर ट्रांसप्लांट को लेकर सुर्खियों में आए थे और 'बेबी संजय' के नाम से मशहूर हो गए थे।

अगले साल मार्च में है शादी

कार्यक्रम से इतर बातचीत में कंडास्वामी ने कहा, ‘‘मेरी हाल ही में सगाई हुई है और अगले साल मार्च में शादी है। इस ट्रांसप्लांट ने मुझे दूसरा जीवन दिया। वास्तव में, मेरी मंगेतर ने आज मुझे फोन किया और मुझे मेरे दूसरे जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं।’’ अपोलो के डॉक्टरों ने कार्यक्रम में बताया कि डेढ़ साल की प्रिशा बच्चों में लिवर ट्रांसप्लांट कराने वाली 500वीं मरीज है। इस कार्यक्रम में बिहार की रहने वाली बच्ची प्रिशा भी शामिल हुई। कार्यक्रम के दौरान मशहूर अभिनेत्री डिंपल कपाड़िया ने दोनों परिवारों को सम्मानित किया।

4,300 से ज्यादा लिवर ट्रांसप्लांट किए गए

अपोलो अस्पताल समूह के चिकित्सा निदेशक और वरिष्ठ बाल रोग गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट अनुपम सिब्बल ने बताया कि 25 साल पहले हुए ऐतिहासिक ट्रांसप्लांट के बाद से अपोलो अस्पताल में बच्चों में 515 प्रक्रियाओं सहित 4,300 से अधिक लिवर ट्रांसप्लांट किए गए हैं। प्रिशा की मां अंजलि कुमारी ने कहा कि उनकी बेटी का जन्म पिछले साल 6 मई को हुआ था और तीन महीने बाद उसका शरीर पीला पड़ने लगा। उन्होंने बताया कि इस स्थिति को चिकित्सक बाइलरी एट्रेसिया कहते हैं। माता-पिता प्रिशा को पटना के एक निजी अस्पताल में ले गए जिसके बाद उन्हें दिल्ली के निजी अस्पताल में रेफर किया गया और इस साल जनवरी में प्रिशा का लिवर ट्रांसप्लांट हुआ

डॉ. सिब्बल को संजय प्यार से कहते हैं ‘चाचा सिब्बल’ 

संजय कंडास्वामी ने कहा कि वह भी इसी बीमारी से पीड़ित थे। कंडास्वामी डॉ. सिब्बल को प्यार से ‘चाचा सिब्बल’ कहते हैं। उन्होंने कहा कि जब नवंबर के पहले सप्ताह में उनकी सगाई हुई, तो उन्होंने ‘चाचा सिब्बल’ को फोन कर बताया कि ‘बेबी संजय’ अब शादी करने जा रहा है। उसने कहा, ‘‘बचपन में, मैं अपनी मां से अपने पेट पर बने सर्जरी के निशान के बारे में पूछा करता था। जब मैं बड़ा हुआ और मुझे अपने जीवन के बारे में पता चला, तो मैंने भी डॉक्टर बनने का फैसला किया और इस तरह 2021 में अपना MBBS कोर्स पूरा किया। अब मैं मेरे गृहनगर कांचीपुरम में अभ्यास कर रहा हूं।’’ प्रिशा की मां अंजलि कुमारी ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि उनकी बेटी का भविष्य क्या होगा, ‘‘लेकिन हमें उम्मीद है कि वह भी संजय की तरह डॉक्टर बनेगी।’’ 

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