नई दिल्ली. देश की राजधानी नई दिल्ली में पुलिस ने एक अवैध इंटरनेशनल का भंडाभोड़ किया है। इस कॉल सेंटर के जरिए गल्फ कंट्री से हर रोज लाखों फोन कॉल्स आ रही थी। इसके अलावा पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान से भी करीब 50 हजार फोन कॉल्स डेली भारत की जा रही थीं, जिस वजह से भारत सरकार को करोड़ों का नुकसान हो रहा था। दरअसल टेलिकॉम डिपार्टमेंट के अधिकारियों ने दिल्ली पुलिस को एक शिकायत में बताया कि जुल्फिकार अली नाम का एक शख्स दिल्ली के चाबड़ी बाजार से अवैध इंटरनेशनल टेलीकॉम सेटअप चला रहा है।
दिल्ली पुलिस की जांच में सामने आया कि चूरी वाला, चाबड़ी बाजार से ये अवैध इंटरनेशनल टेलीफोन एक्सचेंज चलाया जा रहा है। यूएसए, यूएई, कनाडा, नेपाल, ऑस्ट्रेलिया, पाकिस्तान और कई देशों से अवैध तरीके से भारतीयों नंबर्स पर कॉल्स आ रहे है। अडिबा एंटर प्राइसिस के नाम से जुल्फिकार ने एक टेलीकॉम कंपनी खोली हुई थी जिसके इंवॉस और डॉक्यूमेंट्स बरामद हुए है।
डॉक्यूमेंट्स के मुताबिक, जुल्फिकार ने 26 नंवबर 2020 को कनेक्शन लिया। दिल्ली पुलिस ने टेलीकॉम डिपार्टमेंट के अधिकारियों के साथ रेड की लेकिन आरोपी जुल्फिकार मौके से फरार मिला। आस पड़ोसियों से पता लगा कि ये जगह जुल्फिकार उर्फ राजा की है जो उसके रिलेटिव इमरान ने उसे दी है। पुलिस ने 5 फरवरी 2021 को आइपीसी 420,120बी और टेलीग्राफ एक्ट 20,21,25 के तहत एफआईआर दर्ज कर तफ्तीश शुरू की। हौज़ काजी थाने की टीम के अलावा साइबर सेल ने भी तफ्तीश शुरू की।
पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक, 6 फरवरी 2021 को इमरान नाम के शख्स को जो कि जुल्फिकार का रिश्तेदार है उसे गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। अवैध सर्वर की ट्रेल का पता लगाया गया और 29 सितंबर 2021 को मोहम्मद इरफान नाम के शख्स को गिरफ्तार किया गया इरफान ने वो सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करवाया था जिसके जरिए इंटरनेशनल कॉल लोकल नंबर्स पर डाइवर्ट होती थी। 29 सितंबर को इसके अलावा जुल्फिकार को भी गिरफ्तार किया गया जो adeeba enterprises के नाम से अवैध इंटरनेशनल सेटअप चला रहा था।
दिल्ली पुलिस ने बताया कि इनकी निशानदेही पर 30 सितंबर को दो और आरोपी जिनके नाम इरफान और अरीब है इन्हें भी गिरफ्तार किया गया। सभी आरोपियों को अवैध इंटरनेशनल GSM टर्मिनेशन एक्सचेंज बनाने और दिल्ली के चावड़ी बाजार से उसे चलाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। अवैध इंटरनेशनल GSM टर्मिनेशन एक्सचेंज को सेटअप करने के लिए SIP trunk का इस्तेमाल किया गया। इसके अलावा इंटरनेट और सर्वर बेस्ड टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया था। इस सेटअप को भारत मे फॉरन कॉल्स को टर्मिनेटिंग करने के लिए जिंसमे नेशनल और इंटरनेशनल गेटवेयज़ इंडियन टेलीकॉम सर्विस को बॉयपास करके किया जा रहा था।
पुलिस ने बताया कि इंटरनेशनल कॉल्स आने पर भी फोन में भारतीय नंबर दिखता था इस तरह की टेक्नोलॉजी इस्तेमाल की गई थी जिसे कॉलर लाइन आइडेंटिफिकेशन कहा जाता है जिसे CLI कहते है। इसकी वजह से बड़ी संख्या में जो इंटरनेशनल कॉल्स आती थी वो अनरेगुलेटेड और उन्हें रिकार्ड नहीं किया जा सकता था जिस वजह से टेलीकॉम विभाग को बहुत बड़े लेवल पर रेवेन्यू के नुकसान के साथ भारत की नेशनल सिक्योरिटी को भी एक बड़ा खतरा था। दिल्ली पुलिस द्वारा इस केस की तफ्तीश बेहद साइंटिफिक तरीके से की गई जिसके लिए डीसीपी सेंट्रल ने केस को साइबर सेल कमला मार्किट की टीम को सौंपा।