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दिल्ली में धड़ल्ले से चल रहा था किडनी रैकेट, अपोलो अस्पताल की डॉक्टर समेत 7 लोग गिरफ्तार

दिल्ली पुलिस ने ह्यूमन ऑर्गन ट्रांसप्लांट रैकेट का पता लगाया है, जो साल 2019 से ही चल रहा था। इस मामले में 7 लोगों की गिरफ्तारी भी की है।

Written By: Shailendra Tiwari @@Shailendra_jour
Updated on: July 10, 2024 13:45 IST
प्रतिकात्मक फोटो- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO प्रतिकात्मक फोटो

दिल्ली पुलिस को एक बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। पुलिस ने एक ह्यूमन ऑर्गन ट्रांसप्लांट रैकेट का भंडाफोड़ किया है। ये रैकेट राष्ट्रीय राजधानी में धड़ल्ले से ह्यूमन ऑर्गन ट्रांसप्लांट कर रहा था। न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, दिल्ली पुलिस ने आज एक ह्यूमन ऑर्गन ट्रांसप्लांट रैकेट का भंडाफोड़ करते हुए अपोलो अस्पताल की एक डॉक्टर सहित 7 लोगों को गिरफ्तार किया है।

विदेशी है रैकेट का मास्टरमाइंड

दिल्ली पुलिस कमिश्नर अमित गोयल के मुताबिक, इस मामले का मास्टरमाइंड बांग्लादेशी है और मामले में डोनर और रिसीवर दोनों ही बांग्लादेश से थे। इस रैकेट में शामिल सभी लोगों के बांग्लादेश से जुड़े होने का संदेह है। डीसीपी गोयल ने अपने एक बयान में कहा, "हमने रसेल नामक एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है, जो मरीजों और डोनर की व्यवस्था करता था, और आर्गन ट्रांसप्लांट (अंग प्रत्यारोपण) में शामिल एक महिला डॉक्टर को भी गिरफ्तार किया गया है।" मामले में गिरफ्तार 7 लोगों से पूछताछ अभी भी जारी है।

2019 से चल रहा था रैकेट

रैकेट के बारे में गोयल ने कहा, "ये रैकेट साल 2019 से चल रहा था। वे हर ट्रांसप्लांट के लिए 25-30 लाख रुपये लेते थे।” डीसीपी के अनुसार, जिस डॉक्टर को गिरफ्तार किया गया है, उसका दो-तीन अस्पतालों से संबंध है। डीसीपी गोयल ने कहा, "इस मामले में उसकी भूमिका यह थी कि वह ऑर्गन ट्रांसप्लांट में मदद कर रही थी, जबकि उसे पता था कि डोनर और रिसीवर के आपस के (सगे संबंधी) कोई रिश्ते नहीं थे, इस कारणस वह भी इस साजिश का हिस्सा मानी जा रही है।"

ऑर्गन ट्रांसप्लांट को लेकर क्या है नियम?

भारत के ह्यूमन ऑर्गन ट्रांसप्लांट एक्ट (2014) के अनुसार, ऑर्गन डोनेशन केवल माता-पिता और भाई-बहन जैसे सगे रक्त संबंध वाले लोगों को ही किया जा सकता है। इसके अलावा विदेशियों के लिए भी सख्त नियम है, जिसके तहत कोई भी भारतीय जीवित डोनर किसी विदेशी रिसीवर को अपने ऑर्गन डोनेट नहीं कर सकता, जब तक कि वह रिसीवर का करीबी रिश्तेदार न हो। साथ ही रिसीवर के दूतावास के एक वरिष्ठ सदस्य को उनके और डोनर के बीच संबंध को प्रमाणित करना होगा ताकि ट्रांसप्लांट के लिए इसे वैलिड माना जा सके। इन मामलों पर भी तभी विचार किया जाता है जब अंग दान के लिए कोई भारतीय मरीज़ पात्र न हो।

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