Wednesday, December 25, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. दिल्ली
  3. अस्पताल रेप पीड़िता, एसिड अटैक सर्वाइवर को मुफ्त इलाज देने से इनकार नहीं कर सकते, दिल्ली HC का आदेश

अस्पताल रेप पीड़िता, एसिड अटैक सर्वाइवर को मुफ्त इलाज देने से इनकार नहीं कर सकते, दिल्ली HC का आदेश

हाईकोर्ट का यह निर्देश आरोपी की याचिका पर सुनवाई करते हुए आया, जो अपनी बेटी के साथ रेप के लिए आजीवन कारावास की सजा काट रहा है। कोर्ट ने इस तथ्य पर ध्यान दिया कि अदालत और दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के बार-बार हस्तक्षेप के बावजूद पीड़िता को एक प्राइवेट अस्पताल में मेडिकल ट्रीटमेंट के लिए इंतजार करना पड़ा।

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published : Dec 24, 2024 14:02 IST, Updated : Dec 24, 2024 14:02 IST
delhi high court
Image Source : FILE PHOTO दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में फैसला सुनाया कि रेप, एसिड अटैक और यौन हमलों की पीड़िताओं को सभी सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों और नर्सिंग होम में मुफ्त मेडिकल उपचार प्रदान किया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा है कि सरकारी और निजी अस्पताल तथा नर्सिंग होम चिकित्सा उपचार देने से इनकार नहीं कर सकते। जस्टिस प्रतिभा एम सिंह और जस्टिस अमित शर्मा की बेंच ने सोमवार को एक ऐसे मामले में कई निर्देश जारी किए, जिसमें 16 वर्षीय लड़की के साथ उसके पिता ने रेप किया था।

कोर्ट ने कहा, "सभी अस्पतालों, नर्सिंग होम, क्लीनिकों, चिकित्सा केंद्रों का यह दायित्व है कि वे रेप पीड़िताओं, POCSO मामले के पीड़ितों और इसी प्रकार के यौन हमलों की पीड़िताओं को मुफ्त मेडिकल देखभाल और उपचार प्रदान करें।" कोर्ट ने यह भी कहा कि यौन उत्पीड़न पीड़िताओं को उपचार देने से इनकार करना अपराध है, जिसके लिए अस्पताल के डॉक्टरों, कर्मचारियों और प्रबंधन को दंडित किया जा सकता है।

फ्री ट्रिटमेंट में टेस्ट, डायग्नोस्टिक और लॉन्ग टर्म केयर भी शामिल

यह देखते हुए कि यौन हिंसा की पीड़िताओं को मुफ्त मेडिकल ट्रीटमेंट मिलने के लिए परेशानियों का सामना करना पड़ता है, बेंच ने कहा, "मुफ्त उपचार में पीड़िताओं के लिए आवश्यक किसी भी टेस्ट, डायग्नोस्टिक और लॉन्ग टर्म केयर भी शामिल है। ऐसी पीड़िताओं की आवश्यकतानुसार शारीरिक और मानसिक काउंसलिंग की जाानी चाहिए।"

कोर्ट ने अस्पतालों के लिए जारी किए दिशा-निर्देश- 

  • कोर्ट ने आदेश दिया कि दिल्ली में हर चिकित्सा सुविधा को एक बोर्ड लगाना होगा जिसमें लिखा होगा कि "यौन उत्पीड़न, रेप, गैंगरेप, एसिड हमलों की पीड़िताओं के लिए निःशुल्क बाह्य-रोगी और अंतः-रोगी चिकित्सा उपचार" उपलब्ध है।
  • अस्पतालों द्वारा पालन किए जाने वाले दिशा-निर्देशों को सूचीबद्ध करते हुए कोर्ट ने कहा कि ऐसे अपराधों के पीड़िताओं की तुरंत जांच की जानी चाहिए और यदि आवश्यक हो, तो उन्हें एचआईवी जैसे यौन संचारित रोगों के लिए उपचार दिया जाना चाहिए।
  • कोर्ट ने कहा, "ऐसी पीड़िताओं काउंसलिंग की जानी चाहिए। उनकी गर्भावस्था की जांच की जानी चाहिए और यदि जरूरी हो तो गर्भनिरोधक प्रदान किया जाना चाहिए।"
  • कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि आपातकालीन मामलों में, संबंधित अस्पताल या नर्सिंग होम पीड़िता को भर्ती करने के लिए पहचान प्रमाण पर जोर नहीं देगा।

किस मामले की पृष्ठभूमि में कोर्ट ने दिया ये निर्देश?

कोर्ट का यह निर्देश आरोपी की याचिका पर सुनवाई करते हुए आया, जो अपनी बेटी के साथ रेप के लिए आजीवन कारावास की सजा काट रहा है। कोर्ट ने इस तथ्य पर ध्यान दिया कि अदालत और दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) के बार-बार हस्तक्षेप के बावजूद पीड़िता को एक प्राइवेट अस्पताल में मेडिकल ट्रीटमेंट के लिए इंतजार करना पड़ा।

यह भी पढ़ें-

समलैंगिक जोड़े साथ रह सकते हैं, माता-पिता 'हस्तक्षेप' न करें, हाईकोर्ट का अहम आदेश

'टूटे हुए रिश्ते आत्महत्या के लिए उकसाने की श्रेणी में नहीं आते', सुप्रीम कोर्ट ने पलटा निचली अदालत का फैसला

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। News in Hindi के लिए क्लिक करें दिल्ली सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement