कांग्रेस के पूर्व विधायक आसिफ मोहम्मद खान को पुलिस ने फिर से गिरफ्तार कर लिया है। खान को दक्षिण पूर्व दिल्ली के शाहीन बाग इलाके में पुलिस के साथ कथित बदसलूकी के मामले में गिरफ्तार किया गया है। अधिकारियों ने गुरुवार को यह जानकारी दी। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि पुलिस एक वाहन चोरी की घटना के सिलसिले में नई बस्ती इलाके के सीसीटीवी कैमरा फुटेज खंगाल रही थी। अधिकारी के अनुसार, इसी दौरान खान वहां आए और पुलिसकर्मियों के साथ दुर्व्यवहार करने लगे।
14 दिन के लिए जेल भेजे गए पूर्व विधायक
अधिकारी ने बताया कि खान के खिलाफ शाहीन बाग थाने में भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस अधिकारी के अनुसार, खान को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया है। बता दें कि दिल्ली पुलिस ने मोहम्मद आसिफ खान के खिलाफ आईपीसी की धारा 186, 353, 341,153A के तहत मामला दर्ज किया है।
पुलिस से बदसलूकी के मामलों में लंबा है रिकॉर्ड
बता दें कि पिछले साल नवंबर में भी कांग्रेस के पूर्व विधायक आसिफ खान के खिलाफ शाहीन बाग पुलिस थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा 186 (लोक सेवक को सार्वजनिक कार्यों के निर्वहन से रोकना) और 353 (लोक सेवक को उसके कर्तव्य के निर्वहन से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल का इस्तेमाल) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी। पिछले साल नवंबर में भी आसिफ खान को इसी तरह के मामले में पुलिस वाले से बदतमीजी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
अदालत की फटकार के वाबजूद भी नहीं सुधरे
गौरतलब है कि पिछले साल नवंबर में जब पुलिस से बदसलूकी के मामले में अदालत ने खान की जमानत याचिका खारिज की थी तब बेहद सख्त लहजे में उन्हें फटकार भी लगाई थी। उस दौरान मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ने शिखा चहल ने कहा था, “उपरोक्त कारणों और अपराध की गंभीरता को देखते हुए आरोपी द्वारा समान अपराध करने और गवाहों को धमकाने व सबूतों के साथ छेड़छाड़ की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। इसलिए, यह अदालत इस चरण में आरोपी को जमानत देने की इच्छुक नहीं है।” उन्होंने कहा था कि खान पर पहले से 6 मामले हैं और पहले भी इसी तरह के मामले में एक लोक सेवक के काम में बाधा पहुंचाने और उस पर हमला करने के लिए उन्हें दोषी ठहराया गया था। मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ने कहा था कि खान किसी भी तरह की नरमी के लायक नहीं हैं। अदालत ने कहा कि लोक सेवकों के खिलाफ खान की भाषा, कार्रवाई और आचरण को “सख्ती से देखा जाना चाहिए”।