नयी दिल्ली: केंद्र के नये कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों के 'चक्का जाम' के आह्वान के समर्थन में प्रदर्शन कर रहे 60 प्रदर्शनकारियों को मध्य दिल्ली के शहीदी पार्क के पास से पुलिस ने हिरासत में ले लिया। किसान संगठनों ने अपने आंदोलन स्थलों के पास के क्षेत्रों में इंटरनेट पर रोक लगाये जाने, अधिकारियों द्वारा कथित रूप से उन्हें प्रताड़ित किये जाने और अन्य मुद्दों को लेकर छह फरवरी को देशव्यापी 'चक्का जाम' की घोषणा की थी। आज तीन घंटे का चक्काजाम खत्म हो चुका है। चक्का जाम के दौरान प्रदर्शनकारी शहीदी पार्क में जमा हो गए। इसी दौरान पुलिस ने उन्हें ऐसा करने से मान किया लेकिन वे नहीं माने। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया।
तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान संगठनों के समूह संयुक्त किसान मोर्चा ने पहले ही ऐलान किया था कि 'चक्का जाम' के दौरान प्रदर्शनकारी दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में सड़कों को अवरुद्ध नहीं करेंगे। मोर्चा ने साथ ही यह भी कहा था कि प्रदर्शनकारी देश में दोपहर 12 बजे से अपराह्न तीन बजे के बीच तीन घंटे के लिए राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों को अवरुद्ध करेंगे लेकिन शांतिपूर्ण तरीके से। दिल्ली पुलिस ने दिल्ली के सभी सीमा बिंदुओं पर सुरक्षा बढ़ा दी थी। अर्धसैनिक बलों सहित हजारों कर्मियों को 'चक्का जाम' से उत्पन्न होने वाली किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैनात किया गया था।
केन्द्र को प्रदर्शनकारी किसानों की मांगें मान लेनी चाहिये: सिसोदिया
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने शनिवार को कहा कि भाजपा नीत केन्द्र सरकार को तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों की मांगें मान लेनी चाहिये। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा किसानों के हितों की उपेक्षा कर कुछ उद्योगपतियों के फायदे के लिये ये कानून लाई है। सिसोदिया आगामी नगर निगम चुनाव के सिलसिले में रोड शो करने के लिये अहमदाबाद में हैं। उनका यह बयान कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों द्वारा शनिवार को आहूत राष्ट्रव्यापी चक्का जाम के बीच आया है। सिसोदिया ने कहा, ''दिल्ली में हाई अलर्ट है, लेकिन देशभर के किसानों के दर्द को समझा जा सकता है। मैंने देखा कि गुजरात के किसान भी (कृषि कानूनों) को लेकर अपने सुझाव रखने के लिये दिल्ली गए हैं।'' उन्होंने कहा, ''मुख्य मुद्दा यह है कि भाजपा किसानों के हितों को किनारे रखकर उद्योगपतियों के फायदे के लिये ये कानून क्यों लेकर आई? और अगर भाजपा सोचती है कि कानून किसानों के हित में हैं और वे इन्हें अच्छी तरह समझते हैं तो वह किसानों की मांग क्यों नहीं मान लेती? उसे मांगों को मान लेना चाहिये।'