दिल्ली: दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग, DERC ने BSES यमुना और BSES राजधानी की मांग पर अपनी मुहर लगा दी है। इसके बाद PPAC (पावर परचेज एडजेस्टमेंट कॉस्ट) बढ़ा दिया गया है। PPAC के नाम पर उत्तरी दिल्ली जहां TDPL बिजली सप्लाई करती है उसके अलावा पूरी दिल्ली में बिजली महंगी हो जाएगी। BSES यमुना इलाके में तकरीबन 7% और BSES राजधानी इलाके में तकरीबन 10% की बढ़ोत्तरी की गई है। इससे दिल्ली वालों को बड़ा झटका लग सकता है। PPAC चार्ज उपभोक्ता द्वारा इस्तेमाल की गई कुल यूनिट बिजली पर लिया जाता है। लेकिन इससे उपभोक्तांओं पर असर नहीं पड़ेगा।
बिजली मंत्री आतिशी सिंह ने कहा-चिंता मत कीजिए
बिजली में बढ़ोत्तरी की खबर पर बिजली मंत्री आतिशी सिंह ने कहा कि जिनको फ्री में बिजली मिल रही है उनको आगे भी फ्री में बिजली मिलेगी, इस बढ़ोत्तरी का कोई असर नहीं होगा। 200 यूनिट से ज्यादा बिजली खर्च करने वालों को 8% अधिक चार्ज देना पड़ेगा।
बिजली कंपनियों ने की थी मांग
बता दें कि रिलायंस एनर्जी की कंपनी BSES ने दिल्ली में बिजली की खरीद को लेकर डीईआरसी के सामने अर्जी लगाई थी, जिसपर बीएसईएस की अर्जी को मंजूरी देते हुए पॉवर परचेज एग्रीमेंट के आधार पर बिजली की दर बढ़ाने की इजाजत दे दी गई है।
नए टैरिफ को दी गई थी मंजूरी
दिल्ली सरकार ने 23 जून को ही एक नए टैरिफ को मंजूरी दी है जिसके मुताबिक दिन में बिजली की कीमतें वर्तमान दर से 20 प्रतिशत तक कम होंगी और वहीं, रात में जब बिजली की मांग सबसे ज्यादा होती है, उस समय कीमतों में 10 से 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी।
बिजली की कीमतों के इस नए टैरिफ के पीछे बड़ी वजह सौर ऊर्जा को बताया जा रहा है, क्योंकि सौर ऊर्जा से दिन में बिजली का उत्पादन होता है। इसलिए बिजली कंपनियां दिन में सौर ऊर्जा से बनी बिजली की खरीद कर इसकी आपूर्ति करेंगी और रात में बिजली कंपनियां बिजली आपूर्ति करेंगी। इन नए टैरिफ सिस्टम के बारे में जानकारी देते हुए मंत्री आर.के. सिंह ने कहा था कि इससे कंज्यूमर को अपने बिजली के बिल को कम करने में सहायता मिलेगी।
केजरीवाल सरकार ने कही ये बात
अब ये देखना होगा कि ये बिजली की बढ़ी हुई कीमतें उपभोक्ता के बिल में शामिल होंगी या नहीं, इसका फैसला दिल्ली सरकार करेगी। हालांकि दिल्ली सरकार ने कहा है कि उपभोक्ताओं को चिंता करने की जरूरत नहीं है। इससे पहले भी जब पॉवर परचेज एग्रीमेंट की दर बढ़ी है तो दिल्ली सरकार ने इसका खर्च बिजली कंपनियों को खुद ही उठाने को कहा था और लोगों के बिलों में कोई अंतर नहीं आया था।