नई दिल्लीः दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अंतरिम जमानत याचिका का ईडी ने विरोध किया है। ईडी ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा कि चुनाव का प्रचार करना मौलिक अधिकार नहीं है। ईडी ने अपने हलफनामे में कहा कि चुनाव के लिए प्रचार करने का अधिकार न तो मौलिक अधिकार है, न ही संवैधानिक अधिकार और न ही कानूनी अधिकार है। किसी भी राजनेता को चुनाव लड़ने के लिए अंतरिम जमानत नहीं दी गई है। भले ही वह चुनाव लड़ने वाला उम्मीदवार क्यों न हो।
ईडी ने कोर्ट के सामने रखी ये दलील
ईडी ने कहा कि इससे एक मिसाल कायम होगी, जिससे सभी बेईमान राजनेताओं को चुनाव की आड़ में अपराध करने और जांच से बचने का मौका मिलेगा। राजनेताओं ने न्यायिक हिरासत में चुनाव लड़ा है और कुछ ने जीत भी हासिल की है, लेकिन उन्हें इस आधार पर कभी अंतरिम जमानत नहीं दी गई।
ईडी ने कोर्ट में रखा ये तर्क
ईडी ने अपने हलफनामे में कहा कि पिछले 5 साल में देश भर में कुल 123 चुनाव हुए हैं। अगर चुनाव में प्रचार के आधार पर नेताओं को जमानत दी जाने लगी तो न तो कभी किसी नेता को गिरफ्तार किया जा सकेगा और न ही उसे न्यायिक हिरासत में भेजा जा सकेगा, क्योकि देश में हमेशा कोई न कोई चुनाव होता रहता है।
शुक्रवार को कोर्ट सुनाएगी फैसला
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट कथित आबकारी नीति घोटाले से जुड़े मनी लांड्रिंग मामले में गिरफ्तार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अंतरिम जमानत को लेकर 10 मई को अपना आदेश सुनाएगा। गिरफ्तारी के खिलाफ केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई कर रही पीठ की अध्यक्षता करने वाले न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने कहा, “हम शुक्रवार को अंतरिम आदेश (अंतरिम जमानत पर) सुनाएंगे। गिरफ्तारी को चुनौती देने से जुड़े मुख्य मामले पर उस दिन सुनवाई भी होगी।
21 मार्च को गिरफ्तार किए गए थे केजरीवाल
न्यायमूर्ति खन्ना बुधवार को न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी के साथ एक अलग पीठ में बैठे थे। उन्होंने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू की ओर से केजरीवाल की याचिका को सूचीबद्ध किये जाने के मामले में पूछे जाने पर यह टिप्पणी की। आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक केजरीवाल को 21 मार्च को गिरफ्तार किया गया था और फिलहाल वह न्यायिक हिरासत के तहत तिहाड़ जेल में बंद हैं।