दिल्ली-एनसीआर एक बार फिर भूंकप के झटके से हिल उठा। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 2.6 मापी गई। हालांकि भूकंप की तीव्रता बेहद कम थी जिसके चलते यह बेहद कम महसूस हो सका। दोपहर बाद तीन बजकर 36 मिनट पर यह भूकंप आया। जानमाल के किसी तरह के नुकसान की कोई खबर नहीं है। आमतौर पर भूकंप के ऐसे झटके लोगों को महसूस नहीं हो पाते। फिर भी लगातार रह-रहकर आते भूकंप ने लोगों की चिंताएं बढ़ा दी है।
पिछले 8 दिनों में दिल्ली-एनसीआर में भूकंप का यह तीसरा झटका है। तीन नबंबर को रात 11 बजकर 36 मिनट पर दिल्ली-एनसीआर समेत पूरे उत्तर भारत में भूकंप का बड़ा झटका महसूस किया गया था। रिक्टर स्केल पर इस्के तीव्रता 5.6 मापी गई थी। इस भूकंप का केंद्र नेपाल में था और वहां पर करीब 150 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। वहीं इस हफ्ते की शुरुआत में एक बार फिर दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। इस भूकंप का केंद्र भी नेपाल में था। हालांकि इस भूकंप की तीव्रता 3 नवंबर को आए भूकंप से कम थी।
क्यों आता है भूकंप
दरअसल, धरती की मोटी परत जिसे क्टोनिक प्लेट्स कहा जाता है, वह अपनी जगह से खिसकती रहती है। ये प्लेट्स अमूमन हर साल करीब 4-5 मिमी तक अपने स्थान से खिसक जाती हैं। ये क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर , दोनों ही तरह से अपनी जगह से हिल सकती हैं। इस क्रम में कभी कोई प्लेट दूसरी प्लेट के निकट जाती है तो कोई दूर हो जाती है। इस दौरान कभी-कभी ये प्लेट्स एक-दूसरे से टकरा जाती हैं। ऐसे में ही भूकंप आता है और धरती हिल जाती है। ये प्लेटें सतह से करीब 30-50 किमी तक नीचे हैं।
कैसे करें बचाव?
अगर अचानक भूकंप आ जाए तो घर से बाहर खुले में निकल जाएं। यदि आप घर में फंस गए हों तो बेड या मजबूत टेबल के नीचे छिप जाएं। घर के कोनों में खड़े होकर भी खुद को बचा सकते हैं। भूकंप आने पर लिफ्ट का प्रयोग बिल्कुल न करें। खुले स्थान में जाएं, पेड़ व बिजली की लाइनों से दूर रहें। इसके अलावे भूकंप रोधी मकान भी उतने ही जरूरी होते हैं। यह हालांकि बहुत महंगा नहीं होता, पर इसे लेकर लोगों में जागरूकता की कमी के कारण अक्सर लोग इसकी अनदेखी कर बैठते हैं।