Sunday, December 22, 2024
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'क्या डॉक्टरों को अपने ही वेतन के भुगतान का दावा करने के लिए नक्सली बन जाना चाहिए?'

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) से मांग की कि वह हिंदूराव अस्पताल के डॉक्टरों के लंबित वेतन का भुगतान तत्काल करे। संस्था ने तीन महीने से वेतन नहीं दिये जाने को दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति करार दिया। 

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published : October 26, 2020 18:45 IST
Doctors go on mass leave over pending salaries, warn of indefinite strike
Image Source : PTI Doctors go on mass leave over pending salaries, warn of indefinite strike

नई दिल्ली: इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) से मांग की कि वह हिंदूराव अस्पताल के डॉक्टरों के लंबित वेतन का भुगतान तत्काल करे। संस्था ने तीन महीने से वेतन नहीं दिये जाने को दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति करार दिया। आईएमए ने दिल्ली नगर निगम द्वारा संचालित हिंदू राव अस्पताल के प्रशासन के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना के लिए कार्यवाही शुरू करने की मांग की। संगठन ने सवाल किया कि "क्या डॉक्टरों को अपने ही भुगतान का दावा करने के लिए नक्सली बन जाना चाहिए?" हिंदू राव अस्पताल के डॉक्टर अपने वेतन के भुगतान की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर हैं।

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उत्तरी दिल्ली नगर निगम द्वारा संचालित अस्पतालों के वरिष्ठ चिकित्सकों ने सोमवार को सामूहिक आकस्मिक अवकाश ले लिया। ऐसे में नगर निकायों द्वारा संचालित अस्पतालों में चिकित्सकों के लंबित वेतन को लेकर संकट और गहरा सकता है, क्योंकि फिलहाल कोई समाधान नजर नहीं आ रहा। एसोसिएशन ने इस हालात पर 'बनाना रिपब्लिक' कहते हुए तंज कसा और हिंदू राव अस्पताल के डॉक्टर्स को वेतन ना मिलने को सिस्टम की नाकामी करार दिया।

एसोसिएशन ने कहा, "हिंदू राव अस्पताल में डॉक्टरों के वेतन का भुगतान न करने का मामला प्रणालीगत विफलता का मामला है। कोरोना महामारी के दौरान राष्ट्र की सेवा करने वाले डॉक्टर उचित प्रशंसा और प्रोत्साहन के हकदार हैं। यह बात इस तार्किक पहलू (लॉजिक) को धता बताता है, जब उन्हें अपना वैध वेतन पाने के लिए ही सड़क के किनारे आंदोलन का सहारा लेना पड़ता है।"

इस बीच, आईएमए प्रमुख डॉ. राजन शर्मा ने पूछा कि क्या डॉक्टरों को अपने ही भुगतान का दावा करने के लिए नक्सली बन जाना चाहिए? उन्होंने कहा, "यह शर्म की बात है कि ऐसे समय में जब महामारी फैल रही है, डॉक्टर सड़कों पर झक मारने को मजबूर हैं और वह अपनी दुर्दशा को उजागर करने के लिए जंतर मंतर और कनॉट प्लेस जैसी जगहों पर तख्तियां पकड़ें हुए हैं।"

शर्मा ने कहा कि दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) और दिल्ली सरकार अंतिम समाधान के करीब पहुंचने के बजाय मामले का राजनीतिकरण कर रहे हैं। उन्होंने कहा, "एमसीडी का दावा है कि दिल्ली सरकार ने उनके धन को अवरुद्ध कर दिया है, जबकि दिल्ली सरकार का दावा है कि केंद्र राज्य के करों को जारी नहीं कर रहा है।"

शर्मा ने कहा कि वे मामले को टाल रहे हैं, लेकिन यह आखिर कहां रुकेगा? उन्होंने कहा कि इसकी जिम्मेदारी किसी को तो लेनी ही होगी। अस्पताल उत्तरी दिल्ली नगर निगम (नॉर्थ एमसीडी) के अंतर्गत आता है। अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टर दो सप्ताह से अधिक समय से अपना वेतन जारी करने की मांग कर रहे हैं। रेजिडेंट डॉक्टरों में से पांच शुक्रवार शाम से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर हैं।

शर्मा ने कहा कि अधिकारियों को राजनीति से ऊपर उठना होगा और स्थिति को संभालना होगा। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार को नगर निगमों से स्वास्थ्य सेवा का अधिकार अपने पास लेना चाहिए। उन्होंने कहा, "स्वास्थ्य हमेशा एक राज्य का विषय है, लेकिन यहां यह नगर निगमों के दायरे में है। जब यह स्पष्ट होता है कि वे (एमसीडी) इसे प्रबंधित करने में असमर्थ हैं, तो इसे सरकार को सौंप दिया जाना चाहिए।"

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