नयी दिल्ली: दक्षिण दिल्ली में पिछले महीने एक डॉक्टर के कथित तौर पर खुदकुशी करने के मामले में गिरफ्तार किये गये आम आदमी पार्टी के विधायक प्रकाश जारवाल को दिल्ली की एक अदालत ने रविवार को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। यह जानकारी विधायक के वकील ने दी। आप नेता के वकील मोहम्मद इरशाद ने कहा कि अदालत ने तय किया कि जांच के लिए अब जारवाल और सह-आरोपी कपिल नागर की और पुलिस हिरासत की जरूरत नहीं है, जिसके बाद उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। इससे पहले अदालत ने दोनों को पुलिस हिरासत में भेजा था और बाद में इसे बढ़ाते हुए कहा था कि जांच से जुड़ा काफी काम किया जाना बाकी है और अभी जानकारी प्राप्त करनी है।
डॉक्टर राजेंद्र सिंह (52) ने 18 अप्रैल को दक्षिण दिल्ली के दुर्गा विहार में कथित रूप से आत्महत्या कर ली थी। उन्होंने अपने सुसाइड नोट में जारवाल को अपनी मौत के लिए जिम्मेदार ठहराया था। जारवाल की तरह ही राजेंद्र सिंह भी 2007 से दिल्ली जल बोर्ड के साथ पानी की आपूर्ति का धंधा करते थे और पुलिस का आरोप है कि विधायक और उनके साथी दूसरे पानी टैंकर मालिकों से पैसे की उगाही करते थे, जिनमें डॉक्टर सिंह भी शामिल थे।
देवली से विधायक जारवाल और सहयोगी नागर को नौ मई को गिरफ्तार किया गया था। डॉक्टर के बेटे हेमंत की शिकायत पर दोनों के खिलाफ जबरन वसूली और आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया गया था। प्राथमिकी के अनुसार सिंह को जारवाल और नागर डराते-धमकाते थे। पुलिस ने दावा किया कि दोनों आरोपियों ने पूछताछ के दौरान सहयोग नहीं किया और जांच के लिए जरूरी तथ्यों को छिपाया। पुलिस ने रिमांड अर्जी में दावा किया था, ‘‘जांच के दौरान पता चला कि पानी-टैंकरों के मालिकों और आरोपियों के बीच बड़ी साठगांठ थी।’’
पुलिस के अनुसार उनकी जांच में सामने आया कि विधायक के भाई अनिल जारवाल के माध्यम से पानी के टैंकरों से पैसा वसूला जाता था और उसे दिल्ली, गुरुग्राम (हरियाणा) तथा जयपुर (राजस्थान) में अनेक संपत्तियों एवं फार्महाउसों में लगाया गया। उन्होंने यह दावा भी किया कि जारवाल ने जल बोर्ड में प्रभाव जमाकर अपने विधानसभा क्षेत्र में पानी के कई बोरवेल का आवंटन करा लिया था और एक बोरवेल अवैध तरीके से 10 लाख रुपये रिश्वत लेकर दिया जाता था। पुलिस ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ अनेक अधिकारियों से शिकायतें की गयीं लेकिन उन पर कभी कार्रवाई नहीं हुई। आप नेता के वकील के अनुसार विधायक को मामले में गलत तरह से फंसाया गया है और जब भी जरूरत होगी, वह जांच में सहयोग के लिए तैयार हैं।