Highlights
- LG ने मुख्य सचिव को दिए हैं जांच के आदेश
- बिजली सब्सिडी भुगात्न में गड़बड़ी के लगे हैं आरोप
- LG ने 7 दिनों के अंदर मुख्य सचिव से मांगी जांच रिपोर्ट
Delhi: दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार की मुश्किलें कम होने के का नाम नहीं ले रही हैं। शराब और शिक्षा मामलों में जारी जांच के बीच अब उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने केजरीवाल सरकार से बिजली सब्सिडी मामले में रिपोर्ट तलब की है। LG ने दिल्ली सरकार के चीफ सेक्रेटरी को उन आरोपों की जांच करने को कहा है, जिनके मुताबिक बिजली वितरण कंपनियों को आप सरकार की ओर से सब्सिडी राशि भगुतान में अनियमितता बरती गई है। एलजी ने इस मामले में 7 दिन के अंदर रिपोर्ट मांगी है।
बिजली सब्सिडी भुगात्न में गड़बड़ी के लगे हैं आरोप
LG वीके सक्सेना ने कहा है कि 2018 के DERC दिल्ली बिजली विनियामक आयोग के आर्डर के बाद भी बिजली सब्सिडी ग्रहकों के खाते में सीधे क्यों नहीं दिया जा रहा है? बिजली कंपनी को सीधे सब्सिडी क्यों दिया जा रहा है? बता दें कि, दिल्ली सरकार बिजली उपभोक्ताओं को सब्सिडी पर बिजली देती है। 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली दी जाती है तो महीने में 201 से 400 यूनिट तक बिजली खपत पर 50 फीसदी सब्सिडी मिलती है। उपभोक्ताओं की बजाय सरकार बिजली कंपनियों को सरकारी खजाने से इस बिल का भुगतान करती है। एलजी कार्यालय के अधिकारियों से दी गई जानकारी के मुताबिक वरिष्ठ वकीलों, न्यायविद और कानूनी पेशेवरों ने बिजली कंपनियों को सब्सिडी भुगतान में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए शिकायत की थी।
बिजली वितरण में निजी कंपनियों में दिल्ली सरकार की 49 फीसदी हिस्सेदारी
शिकायत में आप प्रवक्ता जैसमीन शाह और नवीन गुप्ता (आप सांसद एनडी गुप्ता के बेटे) का नाम भी शामिल है। एलजी दफ्तर की ओर से बताया गया है कि अनिल अंबानी ग्रुप की कंपनियों बीएसईएस राजधानी पावर (बीआरपीएल) और बीएसईएस यमुना पावर लिमिटेड (बीआईपीएल) के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में केजरीवाल सरकार ने नियुक्त किया। निजी वितरण कंपनियों में दिल्ली सरकार की 49 फीसदी हिस्सेदारी है।
उपभोक्ताओं के सीधे खाते में क्यों नहीं दी जा रही सब्सिडी ?
एलजी की ओर से चीफ सेक्रेटरी को पूछा गया है कि दिल्ली इलेक्ट्रिसिटी रेग्युलेटरी कमीशन (डीईआरसी) की ओर से 19 फरवरी 2018 को दिए गए आदेश के मुताबिक बिजली सब्सिडी उपभोक्ताओं को डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के माध्यम से उनके खाते में क्यों नहीं दी जा रही है। एलजी कार्यालय की ओर से बताया गया है कि दिल्ली सरकार ने सरकारी कंपनियों से बिजली खरीद का 21,250 करोड़ रुपए बकाया वसूली की बजाय उन्हें भविष्य में सरकार की ओर से सब्सिडी भुगतान के बदले समायोजित करने की छूट दी।